कानपुर:- त्योहार किसी भी धर्म का हो खुशियां बांटने और मुहब्बत का पैगाम आम करने के लिए आता है , यह लोगों को जोड़ने का काम करता है । लेकिन त्योहारों के अवसर पर पुलिस और प्रशासन का अलर्ट हो जाना क्या हमें सोचने के लिए मजबूर नहीं करता कि त्योहार के इस अवसर पर तो आम इंसानों और प्रशासन को और अधिक संतुष्ट होना चाहिए, ना कि परेशान। हमें चाहिए कि हम त्योहारों के अवसर पर अपने गांव, इलाकों, मोहल्लों, शहर और जिले के माहौल को अच्छा बनाए रखें , ताकि किसी को कहने या उंगली उठाने का अवसर नहीं मिले । आने वाले दिनों में मुसलमानों की ईद उल अजहा के साथ साथ देशबंधुओं के भी विभिन्न त्योहार जैसे सावन का आखिरी सोमवार और रक्षाबंधन वगैरह है , ईद उल अजहा के बाद ही चौथे दिन देश में स्वतंत्रता दिवस भी जोर शोर से मनाया जाएगा । हम सभी लोग देश के माहौल से वाकिफ हैं, ऐसे में हमें विशेष एहतियात की जरूरत है। जिन लोगों पर कुर्बानी वाजिब हो चुकी है वह सार्वजनिक स्थानों पर कुर्बानी ना करें , जानवरों की ज्यादा नुमाइश ना करें , सफाई का विशेष ध्यान रखें अर्थात कोई ऐसा काम ना करें जिससे हमारे पड़ोसी और क्षेत्र में रहने वाले देश बंधुओं को किसी भी तरह की परेशानी का सामना करना पड़े या उनके धार्मिक भावनाएं आहत हों। इन विचारों को जमीयत उलमा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीन उल हक उसामा कासमी काजी ए शहर कानपुर ने जामिया महमूदिया अशरफुल उलूम में आयोजित बैठक के बाद मुसलमानों के नाम पैगाम जारी करते हुए व्यक्त किया। मौलाना ने कहा भारत देश हम सब का है , सदियों से हम यहां अमन के साथ रहते आए हैं देश को आजाद कराने में हमारे उलेमा की बहुत बड़ी बड़ी कुर्बानियां हैं , इसको जानने के लिए हमें अपने इतिहास से परिचित होना पड़ेगा । लेकिन कुछ असामाजिक तत्व हर जगह मौजूद रहते हैं जिन का प्रयास होता है कि हमारे इलाकों और मोहल्लों में अशांति फैले और वह विभिन्न तरीके से इसका गलत फायदा उठा सकें। रहमत वाले नबी हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम का उम्मती होने की हैसियत से लाजमी है कि हम अपनी जिम्मेदारीयों को समझें, सिर्फ इबादत से नहीं बल्कि अपने कामों से लोगों का दिल जीतें, उन तक मोहब्बत का पैगाम पहुंचाएं। देश के मौजूदा हालात को अपने लिए अवसर समझें और अपने प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की रहमत वाली शिक्षाओं से देश बंधुओं को परीचित कराएं। ईद उल अजहा के अवसर पर नमाज अदा करने के बाद हम इस्लामी शिक्षाओं का प्रदर्शन करें , खुले में कुर्बानी से परहेज करें, कोशिश करें कि ज्यादा गोश्त बाहर न ले जाएं फिर भी अगर जरूरत पड़े तो ढक कर ही ले जाएं । कुर्बानी करते वक्त वीडियोग्राफी ना करें, अगर कोई नासमझी से वीडियो ग्राफी करे भी तो उसको मोहब्बत से मना कर दें। कहीं भी कोई ऐसा काम ना करें जिससे देश बंधु को परेशानी हो। कुर्बानी के अपशिष्ट को नालियों में बहाने के बजाय जमीन में गड्ढा खोदकर दफन कर दें या पालिका की गाड़ियों में डलवा दें । हर वक्त स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें बल्कि स्वच्छता को अपने जीवन का हिस्सा बना लें पाकिज़गी और सफाई को इस्लाम में विशेष महत्व दिया गया है , इसको आधा ईमान तक कहा गया है ऐसे में हम अपने इलाकों और मोहल्लों का भी जायजा लें कि हमारे मोहल्लों में कितनी सफाई है । मौजूदा दौर सोशल मीडिया और इंटरनेट का दौर है, इसका गलत फायदा उठाने वाले झूठी खबरें और अफवाहें भी फैलाते हैं हम किसी भी तरह की अफवाहों से बचें और अपने क्षेत्र के विश्वसनीय उलमा से राब्ता रखें और किसी के भी विरोध या समर्थन में फालतू बातें करने से बचें।
सभी त्योहार खुशियां बांटने और मुहब्बत का पैगाम आम करने के लिए आते हैं -मौलाना ओसामा