हज़रत अल्लामा आशिकुर्रहमान के इंतक़ाल पुर मलाल पर तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत ने ताजियत पेश की

कानपुर:मौत एक ना क़ाबिले तरदीद हक़ीक़त है, जो पैदा हुआ वह फानी है और हर जानदार को एक ना एक दिन मौत आनी है

लेकिन कुछ लोगों की मौत हमारे ज़हन व क़ल्ब को झिंझोड़ कर रख देती है और कभी कभी हमें उनकी मौत पर इतना रंज होता है कि हमारा ख़ुद पर क़ाबू पाना मुश्किल हो जाता है

जानशीने हुज़ूर मुजाहिदे मिल्लत माहिरे हफ्त लिसान हज़रते अल्लामा आशिक़ुर रहमान हबीबी अलैहिर्रहमा 13 रमज़ान को हमें दाग़े मुफारिक़त देकर अपने मअबूदे हक़ीक़ी से जा मिले

उनके इंतक़ाल पुर मलाल पर तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत की एक ताजियती मीटिंग चममगंज स्थित तन्ज़ीम के कार्यालय मे सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फैसल जाफरी हुई जिसमे हज़रत के इंतक़ाल पुर मलाल पर गहरे रंजो गम का इज़्हार किया गया हाफिज़ फैसल जाफरी ने कहा हज़रत बहुत नेक दिल इंसान थे उनकी जुदाई पर एैसा महसूस हो रहा है कि अचानक हमारे ऊपर ग़म की कोई दीवार गिर गई हो और हम अब भी उसके नीचे दबे हुए हैं

यह लफ्ज़ों की बाज़ीगरी नहीं बल्कि दिल की आवाज़ है कि अल्लामा आशिक़ुर रहमान की रहलत ने हमें निढ़ाल करके रख दिया

जब उनका तसव्वुर आता है तो निहाँ ख़ानए दिल से एक हौक सी उठती है

जब हमारा यह आलम है तो उनके अपनों के ग़म का आलम क्या होगा

तन्ज़ीम के मीडिया इंचार्ज मौलाना हस्सान क़ादरी ने ताजियत पेश करते हुए कहा कि अल्लामा आशिक़ुर रहमान हबीबी अलैहिर्रहमा से आज से तक़रीबन 6 साल पहले उनके ही इदारा जामिया हबीबिया इलाहाबाद में मुझ नाचीज़ (मोहम्मद हस्सान क़ादरी) को मिलने का मौक़ा मयस्सर आया

हज़रत की पाकीज़ा तबीअत, आपके गुफ्तार व किरदार, आपकी तवाज़ोअ को देख कर मुझे महसूस हुआ कि यक़ीनन आप अपने अस्लाफ के सच्चे नाएब हैं

दो पल्ली टोपी, कॉटन का बारीक और मामूली कुर्ता, सफेद लुंगी, और चेहरे पर ख़ैर व बरकात के असरात कि देखने वाला आपका दीवाना हो जाए

इसी हाल में हज़रते मौसूफ मस्जिद में नमाज़े अस्र के लिये तशरीफ लाए और सबके साथ मुझ नाचीज़ ने आपके पीछे नमाज़ अदा की

बादे नमाज़ कुछ देर हज़रत ने बैठ कर हम सबसे ख़ैरियत दरयाफ्त की और दुआएँ देकर घर की तरफ रवाना हो गए

मैंने जामिया के असातिज़ा से पूछा कि क्या हज़रत इसी तरह की वज़ा क़ता में रहते हैं?

तो उनहोंने कहा कि हज़रत मस्जिद में हों या मदरसा में, जलसों में हों या किसी और तक़रीब में, हज़रत हमेशा इसी तरह सादगी के साथ रहते हैं

अल्लाहु अकबर! इतना अज़ीमुश्शान आलिमे दीन कि अपने वक़्त के बड़े बड़े उलेमा जिसके सामने ज़ानूए अदब तह करतें हों और जिस शख्सियत के सामने बड़े बड़े फसाहत वालों को बोलने में झिझक महसूस होती हो वह अपनी जिन्दगी इतनी सादगी से गुज़ारता है 

रब्बे करीम उनके दरजात में ख़ूब बुलंदियाँ बख़्शे और उनके लवाहिक़ीन को सब्रे जमील पर अज्रे जज़ील नसीब फरमाए ताजियत पेश करने वालो मे हाफिज़ फैसल जाफरी के अलावा तन्ज़ीम के सरपरस्ते आला मुफ्ती सैयद मोहम्मद अकमल अशरफी,सरपरस्त मौलाना नय्यरूल क़ादरी,मुफ्ती मुम्ताज़ आलम मिस्बाही,मुफ्ती काजिम रज़ा ओवैसी,मौलाना मोहम्मद हस्सान क़ादरी,मौलाना मोहम्मद उमर क़ादरी,कारी आदिल रज़ा अज़हरी,हाफिज़ फुज़ैल रज़वी,हाफिज़ जुबैर कादरी,हाफिज़ इरफान रज़ा कादरी,मौलाना जहूर आलम अज़हरी,हाफिज़ वाहिद अली रज़वी,मौलाना मुबारक अली फैज़ी,हयात ज़फर हाशमी,मोहम्मद इलियास गोपी,हैदर अली,कमालुद्दीन,हाजी हस्सान अज़हरी,महबूब गुफरान अज़हरी,वसीमुल्लाह रज़वी,आकिब बरकाती,ज़मीर खान,मोहम्मद मोईन जाफरी आदि ने भी हज़रत के इंतक़ाल मुर मलाल पर गहरे रंजो गम का इज़्हार किया है!