जिला जज की तरह हमारे भी परिजन थे इंसान, जल्लाद डाक्टरों पर कार्यवाही करे प्रशासन

— मरीज की मौत के बाद भी तीमारदारों से लूट रहे अस्पताल, भर्ती के नाम पर चल रही दलाली


कानपुर, 24 अप्रैल । वैश्विक महामारी कोरोना की आपदा को इन दिनों डाक्टर अवसर में बदल रहे हैं। अस्पताल में मरीज को भर्ती कराने के लिए खुलेआम दलाली चल रही है और भर्ती होने के बाद ऐसी लूट मरीजों के तीमारदारों से की जा रही है कि जिसकी शायद ही किसी ने कल्पना की होगी। यहां तक मरीज के मौत के बाद भी बिल का मीटर बढ़ाने के लिए परिजनों को शव नहीं दिया जा रहा है। यह सब हम नहीं कह रहे हैं, यह उन तीमारदारों का कहना है जिनके मरीज कोविड अस्पताल कृष्णा में भर्ती थे और अब इस दुनिया में नहीं रहे। तीमारदारों का कहना है कि जिला जल की तरह हमारे परिजन भी इंसान थे, लेकिन जल्लाद डाक्टरों ने इलाज के नाम पर सिर्फ लूट मचाई है। 
कोरोना संक्रमण के बढ़ते दायरे को देखते हुए जिला प्रशासन ने महानगर के 16 नामचीन अस्पतालों को कोविड अस्पताल में तब्दील कर दिया है। इन अस्पतालों को सख्त हिदायत दी गई है कि किसी भी मरीज के तीमारदार से ओवर बिलिंग नहीं की जाएगी और बेहतर इलाज सुनिश्चित  दामों पर किया जाएगा। इसके बावजूद अस्पताल के डाक्टर इस आपदा को अवसर पर बदलने को आमादा हैं। इस तरह की खबरें सोशल मीडिया में भी बराबर आ रही हैं और शुक्रवार को टाटमिल स्थित कृष्णा हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के तीमारदारों ने जो बातें कही वह चौकाने वाली रहीं। तीमारदारों ने बताया कि यहां पर डाक्टर नहीं जल्लाद काम कर रहे हैं। इनकी मानवता पूरी तरह से मर चुकी है और यह लोग सिर्फ तीमारदारों को लूट रहे हैं। 
तीमारदार ऋषभ भरद्वाज ने बताया कि अपने ताई को यहां पर भर्ती कराया था। ताई की तबीयत बीते तीन दिनों तक कैसी रही इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई। अगर कुछ जानकारी दी गई तो वह होता था बिल। उसने आरोप लगाया कि यहां पर मरीज के मरने के बाद भी लाखों रुपये लूटे जा रहे हैं। इलाज के नाम पर सिर्फ तो सिर्फ लूट मची हुई है। अगर कोरोना पॉजिटिव जिला जज के साथ हुई लापरवाही मामले में अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है तो क्या हमारे परिजन इंसान नहीं थे। जिला जज की भांति हमारे भी परिजन इंसान थे और प्रशासन के साथ शासन से हमारी मांग है कि जल्लाद डाक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाये। वहीं एक महिला तीमारदार ने बताया कि रात में एक बजे अस्पताल की ओर से फोन पहुंचा कि आपका मरीज खत्म हो गया है। रात एक बजे से अपने मरीज की डेड बाडी लेने के लिए इंतजार कर रहे हैं पर अब कह रहे हैं कि अभी जिंदा है। यही नहीं पीपीई किट पहनकर देखने को कहा जाता है तो दिखा भी नहीं रहे हैं। इससे साफ होता है कि मरीज के मरने के बाद सिर्फ लूट के लिए तीमारदारों को परेशान किया जा रहा है। 
बताते चलें कि बीते चार दिन पहले जिला जज कोरोना पॉजिटिव हो गये थे और इलाज के लिए शहर के एक प्रतिष्ठित मेडिकल संस्थान में भर्ती हुए थे। जिला जज के साथ भी वही हुआ जो आम मरीज के साथ होता है। इस पर जिला जज ने प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई तो मुख्य चिकित्साधिकारी खुद भागकर वहां पर पहुंचे और प्रबंधक सहित आरोपियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करा दिया। यही नहीं प्रशासनिक अधिकारी भी उल्टे पैर पहुंचे और जिला जज को दूसरे अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया। 
अपने बहन का शव लेकर जा रहा एक तीमारदार ने बताया कि इस अस्पताल में बहन को भर्ती करने के लिए सिर्फ 50 हजार रुपये की दलाली दी। अस्पताल में क्या इलाज हुआ पता नहीं, तीन दिन बाद सिर्फ डेड बाडी मिली और अपने खजाने को तो लूट ही लिया गया। इसी तरह के आरोप एक दो नहीं कई तीमारदारों ने लगाया। मरीजों के तीमारदारों के आरोप कहां तक सही यह तो जांच करने के बाद ही पता चल सकता है, लेकिन उनकी भावभंगिमा में दिख रही सच्चाई को भी नाकारा नहीं जा सकता।v