तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम चमनगंज व बाबूपुरवा मे उर्से ताजुश्शरीया मनाया गया
कानपुर:वारिसे उलूमे आला हज़रत जानशीने हुज़ूर मुफ्तिये आज़म शहज़ादए मुफस्सिरे आज़म हुज़ूर ताजुश्शरीअह हज़रते अल्लामा मुफ्ती अल्हाज अश्शाह मोहम्मद अख़्तर रज़ा ख़ान क़ादरी बरकाती रज़वी नूरी अलैहिर्रहमा क़ाजियुल क़ुज़ात फिल हिंद की विलादते बा सअादत 26 मोहर्रमुल हराम 1363 हिजरी मुताबिक़ 2 फरवरी बरोज़ मंगल मोहल्ला सौदाग्रान बरेली शरीफ में हुई

4 साल 4 माह 4 दिन की उम्र होने पर हुज़ूर मुफ्तिये आज़मे हिंद अलैहिर्रहमा ने हिंदुस्तान व जामिया मंज़रे इस्लाम के बा वक़ार उलेमा की मौजूदगी में आपकी रस्मे बिसमिल्लाह ख़्वानी कराई

यूँ तो मोहम्मद नाम पर आपका अक़ीक़ा हुआ, लेकिन मोहम्मद इस्माईल रज़ा के नाम से आपको घर वाले याद करते थे जब्कि मोहम्मद अख़्तर रज़ा नाम से पूरी दुनिया में आपने अपनी पहचान बनाई

आपने नाज़रए क़ुरआन व उर्दू वालिदे ग्रामी से पढ़ी, उसके बाद जामिया मंज़रे इस्लाम में दाखिला लिया और यहीं से शोबए आलिया की तालीम मुकम्मल फरमाई

1952 में एफ, आर इस्लामिया इंटर कॉलेज से हिंदी इंग्लिश व असरी तालीम हासिल की

1963 में आप जामिया अज़हर (मिस्र) तशरीफ ले गए और 1966 में आला नंबरों से कामयाबी हासिल करते हुए आपने अज़हर की पढ़ाई पूरी फरमाई वह भी इस शान के साथ कि शोअबा,, उसूलुददीन क़समुत तफ्सीर वल हदीस,, में अव्वल पोज़ीशन हासिल की और यह पोज़ीशन पूरे मिस्र में अव्वल थी इसी सबब अज़हर के मुक़्तदर उलेमा ने आपको फख़्रे अज़हर अवॉर्ड से नवाज़ा इन ख्यालात का इज़हार तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम सोशल डिस्टेंसिग के साथ चमनगंज मे हुए उर्से ताजुश्शरीया मे तन्ज़ीम के सेक्रेट्री क़ारी आदिल रज़ा अज़हरी ने किया तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफरी की सदारत मे हुए जलसे से मौलाना ने आगे कहा कि 

17 नवंबर 1966 को जब आप मिस्र से बरेली वापस तशरीफ लाए तो पूरे ख़ानवादे ने आपका पुरज़ोर इस्तक़बाल किया

1966 में ही आपने पहला फतवा तस्नीफ फरमाया, जिसे देख कर हुज़ूर मुफ्तिये आज़म ने फतवा ख़ूब तहसीन फरमाई

आपने जामिया मंज़रे इस्लाम में बहैसियते उस्ताज़ 11 साल तक तदरीसी खिदमात अंजाम दीं और 1978 में सदरुल मोदर्रिसीन के ओहदे पर फाएज़ हुए

3 नवंबर 1968 बरोज़ इतवार आपका निकाह हज़रते मौलाना हसनैन रज़ा ख़ाँ बिन मौलाना हसन रज़ा ख़ाँ की बेटी से हुआ

आपको अल्लाह तआला ने 5 औलादों की दौलत से नवाज़ा जिनमें 1 साहबज़ादे (हज़रत मौलाना असजद रज़ा ख़ाँ) और 4 साहबज़ादियाँ हैं

आपको हुज़ूर मुफ्तिये आज़म ने बचपन में ही दाखिले सिलसिला फरमा लिया था फिर 20 साल बाद महफिले मीलाद शरीफ में उलेमा व मशाएख़ की मौजूदगी में खिलाफत व इजाज़त भी अता फरमा दी साथ ही आपको सय्यिदुल उलेमा मौलाना शाह सय्यद आले मुस्तफा मारहरवी अलैहिर्रहमा से तमाम सलासिल की इजाज़त व खिलाफत हासिल थी

1967 से 1980 तक आपने जामिया मंज़रे इस्लाम में दर्स दिया और इस बीच फतवा नवैसी का काम भी जारी रहा

1981 में हुज़ूर मुफ्तिये आज़म के विसाल के बाद आपकी मसरूफियात और बढ़ गई इसी बीच आपने मरकज़ी दारुल इफ्ता भी क़ाएम फरमाया

1982 में आपने दर्से क़ुरआन व दर्से हदीस का आग़ाज़ फरमाया जो सारी दुनिया में बहुत मक़बूल हुआ

1983 में आपने माहनामा,, सुन्नी दुनिया,, जारी फरमाया, इसके अलावा जामिअतुर रज़ा का क़याम किया और हर जुमेरात को पूरी दुनिया से आने वाले सवालात के जवाबात देने और जुमा के दिन बादे नमाज़े मग़रिब रज़ा मस्जिद (बरेली) में दीनी सवाल व जवाब के प्रोग्राम का एहतिमाम करने के साथ ही हर इतवार को इंटरनेट के ज़रिये आने वाले सवालों के जवाब देने में सय्यदी ताजुश्शरीअह आखिरी वक़्त तक मसरूफ रहे

 हुज़ूर ताजुश्शरीअह ने कुल 6 हज अदा फरमाए

(1) 1403 हिजरी मुताबिक़ 1983 ईस्वी (2) 1405 हिजरी मुताबिक़ 1986 (3) 1406 हिजरी मुताबिक़ 1987 (4) 1429 हिजरी मुताबिक़ 2008 (5) 1430 हिजरी  मुताबिक़ 2009 (6) 1431 हिजरी मुताबिक़ 2010

अल्लाह तआला ने हज के अलावा आपको उमरे की सआदतों से भी कई बार बहरा मंद फरमाया

जब आप दूसरे हज के मौक़े पर हरमैन तशरीफ लाए तो सऊदी हुकूमत ने आपको गिरिफ्तार कर लिया और उन लोगों ने आपसे तवस्सुल व हयाते अंबिया अलैहिमुस्सलाम वग़ैरह के उन्वान पर मुनाज़रा किया जिसमें रब्बे क़दीर ने आपको फतेह और उन बद बख़्तों को शिकस्त का सामना कराया

आपकी किताबी शक्ल में मौजूद तस्नीफों की तादाद 61 बताई जाती है जो मंज़रे आम पर हैं

यह किताबें उर्दू, अरबी और अंग्रेज़ी ज़बानों में मौजूद अपने क़ारईन की मुकम्मल रहनुमाई की है

आपकी नातिया शाएरी इश्क़े रसूल अलैहिस्सलाम बढ़ाने का बेहतरीन ज़रिया है

इससे पहले जलसे का आगाज़ तिलावते कुरान पाक से कारी नबी हसन ने किया हाफिज़ मोनिस चिश्ती,हाफिज़ नदीम अज़हरी,हाफिज़ सादिक कादरी ने नात पाक पेश की जलसा सलातो सलाम व दुआ के साथ खत्म हुआ जलसे के बाद लंगर तकसीम किया गया संयोजक हाफिज़ मोहम्मद इरफान ने आए हुए लोगो का शुक्रिया अदा किया इस मौके पर मोहम्मद रफी,हयात ज़फर हाशमी,मोहम्मद वकी,हाफिज़ हमज़ा हाफिज़ साकिब आदि लोग मौजूद थे इसी तरह तन्ज़ीम का दूसरा प्रोग्राम बाबूपुरवा मे हुआ जिसकी सरपरस्ती कारी सलाहुद्दीन अज़हरी व सदारत तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री ने की मौलाना मोहम्मद इरफान ने ताजुश्शरीया का जिक्र करते हुए कहा कि आपके नातिया कलाम जिस महफिल में भी पढ़े जाते हैं वह उस महफिल की क़ुबूलियत की सनद हो जाते हैं

जिस क़दर उलेमा, फुक़्हा, फुज़्ला, मुफ्तियान, हुफ्फाज़ व क़ुर्रा, तलबा व तालिबात, अवामुन नास से ख़ास व आम, अमीर व ग़रीब आपके मुरीदों में शामिल हैं इतने मुरीद आज किसी के नज़र नहीं आते और यह बात सब पर रोज़े रौशन की तरह ज़ाहिर है

बुज़ुर्गाने दीन ने कामिल पीर की 4 शर्तें बयान की हैं

(1) ख़ुश अक़ीदह सुन्नी मुसलमान हो

(2) फासिक़े मोअलिन (खुले आम हराम व नाजाएज़ काम करने वाला) ना हो

(3) आलिमे दीन (जो कम से कम अपनी ज़रूरत के मसाएल किताबों से निकाल सके) हो

(4) उसका सिलसिला इस तरह हुज़ूर अलैहिस्सलाम से मिलता हो कि बीच में शक की गुंजाइश ना हो

हुज़ूर ताजुश्शरीअह इन तमाम शराएत के जामेअ थे, पूरी दुनिया में कोई एैसा आम तो आम ख़ास भी ना मिलेगा जो इन शराएत में आपके अंदर किसी किस्म की कमी निकाल सके

याद रहे कि आपको सिलसिलए क़ादरिया, चिश्तिया, नक़्श बंदिया, सोहर वर्दिया की इजाज़तें हासिल थीं

बेशक अल्लाह के नज़दीक तुम में ज़्यादा इज़्ज़त वाला वह है जो तुम में ज़्यादा परहैज़गार हो (अल क़ुरआन)

इस ज़ाविये से जब हम हुज़ूर ताजुश्शरीअह की जिन्दगी का मुताला करते हैं तो आप नाइबे ग़ौसे आज़म हुज़ूर मुफ्तिये आज़म की सोहबत पाकर ज़ोहद व तक़्वा के आला मक़ाम पर फाएज़ नज़र आते हैं, आपका कोई क़दम खिलाफे शरअ व सुन्नत नज़र नहीं आता

क्यूँकि जिस तरह हर ज़माने में आपका ख़ानदान इल्म व इरफान, ज़ोहद व वरअ,  ख़ुलूस व मोहब्बत, हक़ गोई व बेबाकी में मुम्ताज़ रहा है आप भी अपने ज़माने में इन चीज़ों में मुम्ताज़ हैसियत रखते थे

आपका मलाल 6 ज़ीकअदा 1339 हिजरी मुताबिक़ 20 जुलाई 2018 क़रीबे वक़्ते मग़रिब (सने ईस्वी के एतिबार से 77 और सने हिजरी के एतिबार से 75 साल की उम्र में) अपने ख़ालिक़े हक़ीक़ी से जा मिले

अख़्तरे क़ादरी ख़ुल्द में चल दिया

ख़ुल्द वा है हर इक क़ादरी के लिए आपके विसाल की ख़बर चंद लम्हों में पूरी दुनिया में फैल गई गोया कि हवा ने अपने दोश पर इस ख़बर को घर घर पहुंचा दिया हो

हर ज़बान पर इन्ना लिल्लाहि वइन्ना इलैहे राजिऊन के साथ आँखों से अश्कों की बरसात भी हो रही थी, दिल बैठा जा रहा था, अपने कानों पर यक़ीन कर पाना मुश्किल हो रहा था, ज़ब्त करना मानो उससे भी कहीं मुश्किल था, हर शख़्स कई कई लोगों से इस बात की तस्दीक़ कर रहा था

बिल आखिर जो जिस हाल में था बरेली की तरफ चल पड़ा, ट्रेनों में अचानक इतनी भीड़ हो गई कि रेलवे मुलाज़मीन हैरत ज़दा थे इससे पहले जलसे का आगाज़ तिलावतो कुरान पाक से हाफिज़ तन्वीर निज़ामी ने किया हाफिज़ फुज़ैल रज़वी,हाफिज़ ज़ुबैर क़ादरी ने नात पाक पेश की जलसा सलातो सलाम व दुआ के साथ खत्म हुआ जलसे के बाद लंगर तकसीम हुआ इस मौके पर मौलाना सालिम मिस्बाही,मौलाना हस्सान क़ादरी,हाफिज़ तौकीर,हाफिज मुशीर,निज़ामी भाई,सैयद शाबान आदि लोग थे!