तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत की जानिब से चमनगंज मे यौमे खदीजतुुल कुबरह मनाया गया
कानपुर:औरतों में सबसे पहले ईमान लाने वाली ख़ातून और उम्मुल मोमिनीन के अज़ीम मनसब पर फाएज़ हज़रते सय्यदह ख़दीजतुल कुबरह रजि अल्लाहु अन्हा हैं

आप क़ुरैश के मश्हूर ताजिर ख़्वैलद की बेटी हैं, आपका निकाह अबू हाला से हुआ, फिर दूसरा निकाह अतीक़ से, 40 साल की उम्र शरीफ में आपका तीसरा और आखिरी निकाह सरवरे कौनैन सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से हुआ जब्कि उस वक़्त सरकार अलैहिस्सलाम की उम्र शरीफ 25 साल थी

एक बार आपने ख़्वाब देखा कि सूरज आपके घर पर उतर आया है और उसकी रौशनी मक्का के हर घर में पहुंच गई है, आपने अपना ख़्वाब अपने चचा ज़ाद भाई वरक़ा से बयान करके ताबीर पूछी तो उन्होंने कहा कि इस ख़्वाब का यह मतलब है कि तुमहारा निकाह मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से होगा इन ख्यालात का इज़हार तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम चमनगंज प्लाट नं 1 मे सोशल डिस्टेंसिग के साथ हुए यौमे खदीजह मे तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री ने किया उन्होने आगे कहा कि 

नबिये करीम अलैहिस्सलाम आपसे बड़ी मोहब्बत फरमाते थे और यह हदीस ही सय्यदह ख़दीजह की फज़ीलत के लिये काफी है, इरशादे नब्वी है,, ख़दीजह उस वक़्त ईमान लाई जब दूसरों ने मेरे साथ कुफ्र किया, उसने उस वक़्त मुझे सच्चा कहा जब औरों ने मुझे झुटलाया, उसने अपने माल में मुझे उस वक़्त शरीक किया जब औरों ने मुझे कस्बे माल से रोका, ख़ुदा ने मुझे उसके पेट से औलादें दीं जब किसी दूसरी बीवी से औलादें ना हुईं

आपका मक़ाम व मरतबा समझने से हमारी अक़्लें आजिज़ हैं, आप दुनियाए इस्लाम की वह वाहिद ख़ातून हैं जिन्हें अल्लाह तआला ने सलाम कहलाया

बुख़ारी शरीफ में है कि हज़रते जिब्रील बारगाहे नब्वी में हाजिर हुए और अर्ज़ की या रसूलल्लाह अलैकस्सलाम! आपके पास हज़रते ख़दीजह दस्तर ख़्वान ला रही हैं जिसमें खाना पानी है, उनसे आप अल्लाह का और मेरा सलाम कहिये और उन्हें बशारत दीजिये कि उनके लिये जन्नत में अल्लाह ने एक एैसा घर बनाया है जो ख़ालिस मरवारीद का है, जिसमें ना शोर व ग़ुल है ना रंज व मशक़्क़त हाफिज़ मोहम्मद इरफान ने खिताब फरमाते हुए कहा कि हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास से रवायत है कि जन्नती औरतों में सबसे अफज़ल सय्यदह ख़दीजह, सय्यदह फातिमह, हज़रते मरियम और हज़रते आसियह हैं नबिये करीम अलैहिस्सलाम के 3 शहज़ादे (बेटे) और 4 शहज़ादियाँ (बेटी) थीं

1- हज़रते क़ासिम

2- हज़रते अब्दुल्लाह

3- हज़रते इब्राहीम

4- हज़रते ज़ैनब

5- हज़रते रुक़य्यह

6- हज़रते उम्मे कुलसूम

7- हज़रते फातिमह

हज़रते इब्राहीम सरकार की बाँदी हज़रते मारियह के बतन से हैं, इनके अलावा तमाम औलाद सय्यदह ख़दीजह के मुबारक बतन से हुईं

सय्यदह ख़दीजह सरकार अलैहिस्सलाम की खिदमत में 25 साल रहीं और 10 रमज़ानुल मुबारक हिजरत से एक साल पहले वफात पाई, उस वक़्त आपकी उम्र शरीफ 65 साल थी

आपकी वफात से सरकार को बहुत सदमा पहुंचा,इसीलिये जिस साल सय्यदह ख़दीजह का विसाल हुआ उस साल को आमुल हुज़्न (ग़म का साल) कहा जाने लगा  

सरकार के चचा अबू तालिब के बाद सरकार की सबसे ज़्यादा अगर किसी ने मदद की है तो वह सय्यदह ख़दीजह हैं

मौला हमारी माँ सय्यदह ख़दीजह के रौज़े पर अपनी रहमतों की झमाझम बारिशें नाजिल फरमाए और हमारी ख़ाली झोलियों में सय्यदह का सदक़ डाल दे इस मौक़े पर फातिहा ख्वानी हुई और कोरोना से निजात की दुआ की गई दुआ के बाद शीरनी तक़सीम हुई हाफिज़ मोहम्मद इरफान,मोहम्मद आकिब बरकाती,मोहम्मद इलियास गोपी आदि लोग मौजूद थे!