सदक़ा ए फ़ित्र के अहकामात-सैय्यद गुलाम अब्दुस्समद चिश्ती 

एक मुसलमान रोज़ा रख कर दिन भर खाने पीने से दूर रहता हे इसके वाबजूद भी बहुत सारे लोग रोज़ा के उद्देश्य से अनजान रहते हैं बुरी बात कहना,गाली गलोच करना और दूसरी बुराइयों से बिलकुल नहीं बचते, किसी को बिला वजह सताना तो किसी पर बुरी नज़र डालना कभी चोरी करना इत्यादि बुराइयों की वजह से रोजे का उद्देश पूरा नहीं होता और उसकी आत्मियता ,उज्ज्वलता समाप्त हो जाती हे रोज़ा की इस कमी को पूरा करने के लिए पैगम्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने सदक़ा ए फ़ित्र का तरीका बताया चुनांचे हजरते अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास ने फ़रमाया की सरकारे दो आलम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने ज़काते फ़ितर निर्धारित फरमाई ताकि गलत और बेहूदा बातों से रोज़ा पाक हो जाये, और गरीबों की खुराक का इन्तिजाम भी हो जाये दूसरी जगह फ़रमाया की बन्दे का रोज़ा ज़मीन व् आसमान के मध्य में लटका रहता हे जब तक सदक़ा ए फ़ित्र अदा नहीं करता।


सदक़ा ए फ़ित्र कब और किस पर वाजिब हे ----ईद के दिन सुबह सादिक होते ही सदक़ा ए फ़ित्र वाजिब हो जाता हे अर्थात जो मालिके निसाब ईमान की हालत में ईद के दिन सुबह सादिक पा ले उसपर सदक़ा ए फ़ित्र वाजिब हे सदक़ा ए फ़ित्र हर मुसलमान आज़ाद मालिके निसाब पर जिसका निसाब हाजते असलीया (दैनिक उपयोग की जरूरी वस्तुओं ) से ज्यादा हो उसपर वाजिब हे इसमें अक्ल मंद बालिग (नवयुवक) और नामी होने की शर्त नहीं मर्द मालिके निसाब पर अपनी तरफ से और अपने छोटे बच्चों की तरफ से सदक़ा ए फ़ित्र वाजिब हे जबके बच्चा खुद मालिके निसाब न हो।


सदक़ा ए फ़ित्र की मिक़दार ---मुनक्का,खजूर,जौ,या उसका आटा या उसका सत्तू 4 किलो 94 ग्राम,गेंहू या उसका आटा या सत्तू 2 किलो 47 ग्राम,या उनकी क़ीमत उपरोक्त वस्तूओ में से किसी भी वस्तु के जरिये सदक़ा ए फ़ित्र अदा किया जाये तो अदा हो जायेगा।


सदक़ा ए फ़ित्र किसे दें ---सदक़ा ए फित्र के हक़दार वहीं हैं जो ज़कात के हैं अर्थात जिनको ज़कात दे सकते हैं उन्हें सदक़ा भी दिया जा सकता है अगर गरीब हक़ दार मुसलमान न मिलें तो ज़कात की रक़म इस्लामी मदरसों में पहुंचा दें इससे दो गुना सवाब मिलेगा एक सदक़ा ए फ़ित्र अदा करने का ,और दूसरा इस्लामी मदरसों की मदद करने का।


सदक़ा ए फ़ित्र से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण व् ज़रूरी जानकारी आप तक पहुंचा दी गयी हे आप इसी के अनुसार सदक़ा ए फ़ित्र अदा करें ।