एतकाफ पैग़म्बरे इस्लाम की सुन्नत है 





कानपुर १२ मई/पैग़म्बरे इस्लाम रमज़ान शरीफ के आखरी अश्रे में एतकाफ किया करते थे रमज़ान शरीफ में दस दिन का एतकाफ करने वालो को दो उमरा और  हज का सवाब मिलता है एतकाफ करने वालों के बारे में हुज़ूर ने फरमाया वो गुनाहों से बचा रहता है और नेकियों से इस क़दर सवाब मिलता है जैसे इस ने तमाम नेकिया की यह बयान मौलाना मो. हाशिम अशरफी राष्ट्रीय अध्यक्ष आल इंडिया गरीब नवाज़ कौंसिल व इमाम ईदगाह गद्दियाना ने एक प्रेस रिलीज़ के माध्यम से जारी किया उन्होंने कहा कि रमजान के आखरी अश्रे का एतकाफ सुन्नत ए मोक्किदा है   तरीका यह है कि बीसवें रमज़ान ( १४ मई दिन जुमेरात )को सूरज डूबते समय एतकाफ की नीयत से मस्जिद में दाखिल हो और तीस्वे के गुरूब के बाद या उनतीस को चांद निकालने के बाद मस्जिद से निकले यह एतकाफ सुन्नत किफाया है  कि अगर मोहल्ले की मस्जिद में किसी ने भी न किया तो सब गुनाहगार होंगे अगर किसी एक  ने भी कर लिया तो सब बरीउज़ ज़िम्मा हो गए लाक डाउन पर अमल करते हुए मस्जिदों में जियादा लोग एतकाफ में न बैठें एतकाफ करने वालों को चाहिए कि दुनियावी और फुजूल बातों से बचें तिलावत,ज़िक्र व अझकार में मशगूल रहे कम खाने कम सोने कम बोलने पर खास अमल करे  और मोबाइल हरगिज़ न इस्तेमाल करे और कोरोना के खात्मे के लिए खुसूसी तौर पर दुआ करे.