शाबान की 15 वीं शब को अपने अपने घरों मे इबादत करके अल्लाह को राज़ी करें:हाफिज़ फ़ैसल जाफ़री
कानपुर:कोरोना वायरस की वजह से किये गए लाकडाउन का पालन करते हुए मुसलमान इस बार कब्रिस्तान न जाकर अपने अपने घरो मे इबादत करें अपने मरहूमीन के नाम फातिहा कर ईसाले सवाब करे और कोरोना जैसी बीमारी से निजात पाने के लिए अल्लाह की बारगाह मे रो रोकर दुआ करें यह अपील तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के सदर व सुन्नी जमीयतुल उलेमा के नायब सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री ने की है उन्होंने शबे बरात की फ़ज़ीलत बयान करते हुए कहा कि माहे शाबान की पन्द्रहवीं रात को शबे बरात कहा जाता है इस रात मुसलमान तौबा करके गुनाहो से माफ़ी माँगते है और अल्लाह की रहमत से बेशुमार मुसलमान जहन्नम से निजात पाते हैं इसलिए इस रात को शबे बरात कहते है और इस रात को रहमत नाजिल होने वाली रात भी कहा जाता है यानि लैलतुल क़द्र के बाद शाबान की पन्द्रहवीं शब से अफ़ज़ल कोई रात नही इस रात मे अल्लाह पर 300 रहमतों के दरवाज़े खोल देता है इस रात मे जिन्दा रहने वाले इन्तिक़ाल करने वाले और हज करने वाले सबके नामो की लिस्ट तय्यार की जाती है हज़रत आयशा सिद्दीक़ा रजि अल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं कि पैगम्बरे इस्लाम ने फ़रमाया कि तुम जानती हो कि शाबान की पन्द्रहवीं शब मे क्या होता है?मैने अर्ज़ कि या रसूल अल्लाह आप फ़रमाईये बताया कि अगले साल मे जितने लोग भी पैदा होने वाले होते हैं वह सब इस रात मे लिख दिए जाते हैं और जितने लोग अगले साल मरने वाले होते है वह भी इस रात मे लिख दिए जाते हैं और इस रात मे लोगो के साल भर के आमाल उठाए जाते हैं और इसमे लोगो का मुकर्ररा रिज़्क उतारा जाता है हज़रते आयशा फ़रमाती हैं कि एक रात मैने पैगम्बरे इस्लाम को अपने पास न पाया तो मै आपकी तलाश मे निकलीं तो देखा कि आप जन्नतुल बक़ी मे तशरीफ़ फ़रमा हैं हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रजि अल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि पैगम्बरे इस्लाम ने फ़रमाया शाबान की पन्द्रहवीं शब मे अल्लाह पाक आसमाने दुनिया पर अपनी शान के मुताबिक़ जलवा गर होता है और उस शब मे हर किसी की मग़फिरत फ़रमा देता है सिवाए मुशरिक, बुग्ज़,हसद,शराब पीने वाले इन लोगो की इस रात मे भी मग़फिरत नही होती जब तक कि ऐसे लोग सच्चे दिल से तौबा न करलें अल्लाह पाक इरशाद फ़रमाता है ऐ ईमान वालो अल्लाह की तरफ़ ऐसी तौबा करो जो आगे को नसीहत हो जाए हज़रत आयशा सिद्दीक़ा फ़रमाती हैं कि मैने पैगम्बरे इस्लाम को माहे रमज़ान के अलावा माहे शाबान से ज़्यादा किसी महीने मे रोज़े रखते नही देखा पैगम्बरे इस्लाम कुछ दिन छोड़कर पूरे महीने शाबान के रोज़े रखते पैगम्बरे इस्लाम फरमाते हैं कि शाबान मेरा महीना और रमज़ान मेरी उम्मत का महीना है जिन लोगो की रूहें क़ब्ज़ करनी होती हैं उनके नामो की फेहरिस्त माहे शाबान मे मलकुल मौत को दी जाती है इसलिए मुझे यह बात पसन्द है कि मेरा नाम उस वक़्त फ़ेहरिस्त मे लिखा जाए जब कि मै रोज़े की हालत मे हूँ पैगम्बरे इस्लाम इस रात मे शब्बेदारी करते और कसरत से इबादत करते और दूसरो को भी इस चीज़ की नसीहत करते और इस रात मे आप मुसलमानो की दुआए मग़फिरत के लिए जन्नतुल बक़ी कब्रिस्तान तशरीफ़ ले जाते मुसलमान भी इस रात मे  कब्रिस्तान जाकर हाजिरी देते हैं लेकिन इस बार कोरोना वायरस की वजह से मुसलमानो को चाहिए कि इस रात को खाली न जाने दें बल्कि अपने अपने मकानों मे ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त इबादत मे गुज़ारे नमाज़े नफिल अदा करें और जिनके फर्ज़ नमाज़े कज़ा हुई हैं उनको चाहिए कि पहले वह लोग इसको पूरी करें फिर नफिल अदा करें और साथ ही रोज़ा भी रखें!