महले नजासत में कलमा शरीफ वगैरह का पढ़ना ममनूअ

आल इंडिया गरीब नवाज कौंसिल के तत्वावधान में माह स्याम हेल्प लाइन में पूछे गये सवालात के शरई जवाब


कानपुर 30 अप्रैल।
प्रश्न : गुस्लखाने में नहाते वक्त कल्मा वगैरह पढ़ना जरूरी ख्याल करना कैसा है? --- अमीनगंज
उत्तर: नापाकी को दूर करने के लिये किसी दरूद या वजीफा पढ़ने की मुतल्लकन जरूरत नहीं कि किसी महले नजासत में ताजीम वाला कल्मा कहना असलन गलत और मना है। नहाते वक्त कल्मा वगैरह का ख्याल अवामी है।
प्रश्न : रोजे के दिनों में बोरोप्लस लगा सकते हैं या नहीं? --- कानपुर
उत्तर: बवक्त जरूरत बहालत रोजा बोरा प्लस लगाना रोजा के लिये कुछ नुकसान नहीं। हां अगर उसका कोई हिस्सा थूक के साथ हलक के नीचे गया तो रोजा जाता रहा।
प्रश्न : पेट में निहायत तेज दर्द है रोजा तोड़ सकता है या नहीं? --घाटमपुर
उत्तर: पेट का दर्द इतना शदीद हो कि मर्ज बढ़ जाने या हलाकत जान का खौफ है तो रोजेदार को रोजा तोड़ना जायज है बाद में कजा वाजिब है।
प्रश्न : बारी देकर बुखार आता है बुखार का दिन गुमान कर के रोजा तोड़ दिया तो क्या हुक्म है? ---लखनऊ
उत्तर: बारी से बुखार आता है और आज बुखार का दिन था ये गुमान करके आज बुखार आयेगा, रोजा कसदन तोड़ दिया तो उस सूरत में कफ्फारा साकित है सिर्फ कजा वाजिब है।


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