सफर ए मेराज का वाकिया

कानपुर । अल्लाह ने अपने महबूब हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को जो इम्तियाजा़त, खुसूसियात और कमालात अता किए वह बेशुमार हैं, उसकी हद और इंतेहा कोई नहीं। उन कमालात और खुसूसियत में सफर ए मेराज का वाकिया विशिष्ट स्थान रखता है । सफर ए मेराज के ज़रिए अज़मत की जिन बुलंदियों तक प्रत्यक्ष रूप से हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को और उनके वास्ते से उनकी पूरी उम्मत को पहुंचाया गया कुरान ए मजीद की आयतों में, हदीसों के ज़खीरे में, सीरत और इतिहास के खजा़नों में बार-बार उसका विस्तारपूर्वक वर्णन मौजूद है। इन विचारों को जमीयत उलमा शहर कानपुर के तत्वाधान में रजबी ग्राउंड परेड में आयोजित किए जा रहे इज्लास मेराजुन्नबी के दूसरे दिन मुख्य अतिथि के रूप में तशरीफ लाए मदरसा इम्दादिया मुरादाबाद के शेखुल हदीस अल्हाज मौलाना डॉक्टर मुहम्मद अस्जद क़ासमी नदवी ने व्यक्त करते हुए कहा कि अल्लाह का क़ानून है कि ईमान वाले बंदों का इम्तिहान लेकर आज़माया जाएगा, इतिहास उठाकर देखें हर दौर में आज़माया गया है। हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को 12 सालों तक आज़माइशों से गुजारा गया , नबी ने पूरी सहनशीलता के साथ हालात का मुकाबला किया, अल्लाह के इम्तिहान में पूरी तरह से कामयाब रहे , फिर उसके बाद अल्लाह ने मेराज के सफर से सम्मान और महानता का नया जहान खोला, जो इस्लाम के इतिहास में नया मोड़ साबित हुआ। आज जो खतरनाक हालात हमारे सामने इसमें अगर हम कामयाबी चाहते हैं और यह चाहते हैं कि हालात हमारे पक्ष में हो जाएं और क़ौम की शान व इज्ज़त वापस आ जाए तो हमें हालात का मुकाबला भी नबी और सहाबा किराम की तरह करना होगा। मौलाना  अस्जद क़ासमी ने बताया कि मेराज के इस सफ़र से आज के हालात में हमारे लिए सबक़ और पैगाम यह है कि जब हम इन हालात का मुकाबला पूरी ईमानी सहनशीलता और हिम्मत के साथ करेंगे और इस इम्तिहान में कामयाब होंगे तो अल्लाह की रहमतें और कामयाबी हमारा इस्तेक़बाल करेंगी। इसके लिए हमें हर ऐतबार से ज़मीनी, फिक्री और शऊरी तौर पर मेहनत करके अपने आपको और पूरी उम्मत को कमज़ोरी, लाचारी और बेबसी से निकालकर ताकतवर और बाहिम्मत बनाना पड़ेगा। इसके अंदर ईमानी कुव्वत पैदा करने की फिक्र पैदा करनी पड़ेगी । अख्लाक व किरदार के हवाले से ठोस काम करने पड़ेंगे ताकि हमारे अख्लाक व किरदार पाकीज़ा रहे। जिहालत(अज्ञानता) के खात्मे की कोशिश करते हुए तालीम की फिज़ा आम करनी पड़ेगी।
जामा मस्जिद लाल बंगला के इमाम मौलाना खलील अहमद मजाहिरी ने कहा कि हम नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तालीमात को अपनाकर अपने ईमान को मजबूत करें।
अंत में क़ाज़ी ए शहर कानपुर मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी अध्यक्ष जमीयत उलमा उत्तर प्रदेश ने कहा कि हम गुलाम हैं आखिरी नबी रहमतुललिलआलमीन हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, आप स० के सहाबा और बुजु़र्गाने दीन के। हम उस अल्लाह को मानने वाले हैं जिसकी हुकूमत कल भी थी, आज भी है और कल भी रहेगी। दुनिया की सारी हुकूमतें और ताकतें अस्थाई हैं बाकी रहने वाली ताक़त सिर्फ अल्लाह की है। हम अल्लाह की आखिरी किताब क़ुरान पाक को मानने वाले लोग हैं ,क्षहम अल्लाह को खुश करके और अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करते हुए इस देश में सारे इंसानों, ईमान वालों, घरवालों, रिश्तेदारों पड़ोसियों, देशबंधुओं की किस तरह खिदमत करें और नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पाक़ीज़ा तालीमत को उन तक किस तरह पहुंचाएं और उनके दिमाग में इस्लाम के खिलाफ झूठ बोलकर , ग़लत जानकारियां देकर, ग़लत इतिहास लिख कर जो ज़हर भरा गया उसको किस तरह दूर करें, मेअराज में अपने पास बुला कर आका सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को जो सम्मान अल्लाह ने दिया उसके क्या-क्या सबक़ है उनको इन इज्लास के ज़रिए लोगों तक पहुंचाया जा रहा है । इससे पहले जलसे का शुभारंभ कारी इनामुल हक़ फरीदी और कारी मुजीबुल्लाह इरफा़नी ने कुरान पाक की तिलावत से किया। हाफिज शोएब बलरामपुरी ने संचालन के कर्तव्य को पूरा करते हुए नात पेश किया। इस अवसर पर जमीयत उलमा शहर के अध्यक्ष डॉक्टर हलीमुल्लाह खां, उपाध्यक्ष महमूद आलम कुरैशी, कारी मुहम्मद अमीन जामई, मौलाना अहमद हसन कासमी, मौलाना अंसार अहमद जामई, मौलाना अनीसुर्रहमान क़ासमी, मौलाना फरीदुद्दीन क़ासमी, मुफ्ती उबैदुल्लाह क़ासमी, कारी अब्दुल मुईद चौधरी, मुफ्ती इज़हार मुकर्रम क़ासमी, कारी मुहम्मद गजा़ली खां के अलावा सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे।