प्रधानमंत्री की अपील देश में मोबाइल की दुनिया छोड़ अपनों से जोड़ रहा ’जनता कर्फ्यू’
घरों में रहकर बुजुर्गों व बड़े-छोटों के बीच चलती रही बचपन की कहानी व ताजा होती रही पुरानी यादें


कानपुर । कोरोना से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा लगाया गया ’जनता कर्फ्यू’ कहीं न कहीं अपनों को अपनों से जोड़ने का काम कर रहा है। मोबाइल को खुद की जिंदगी मानने वाले लोग आज परिवार के साथ अपना समय गुजार रहे हैं। यहीं नहीं घरों में बुजुर्गों को समय न देने वाले अपने उनके बीच बैठ कर बचपन व पुरानी यादें ताजा करने में लगे देखें गए।
कोरोना वायरस आया और लोगों में भय और जान का खतरा पैदा कर गया। इससे सावधानी हमारे और परिवार के लिए अति आवश्यक है। जिसको लेकर केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार हर तरह के कार्य कर रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस मुहिम में सरकार का जनता भरपूर साथ दे रही है। ’जनता कर्फ्यू’ के नाम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किये गए आवाहन में लोगों ने बढ़चढ़ कर साथ दिया। इस कर्फ्यू से लोगों के रोजमर्रा के कामों में परेशानी जरूर हुई होगी, पर यह लोगों को उनके परिवारों के बीच बढ़ती दूरी बुजुर्गों के बीच गुजारने वाला समय एक बार फिर लौटा गया। वर्तमान की दौड़कृभाग भरी जिंदगी में लोग मोबाइल को ही जिंदगी मान चुके हैं और हम सबके पास अब अपनों के लिए टाइम नहीं है। नौकरी के लिए हम दिनभर घर से बाहर रहते हैं और जो थोड़ा समय मिलता भी है उसमें अपने फोन में लगे रहते हैं। लेकिन देश के प्रधानमंत्री की एक नायाब अपील ’जनता कर्फ्यू’ से लोग घरों में रहकर अपनों के साथ समय व्यतीत कर रहे हैं।
कानपुर जिले की अगर बात करें तो एक परिवार के मुखिया सुशील वर्मा ने बताया कि उनकी सुनार की दुकान है। घर से रोज सुबह निकल जाते हैं और रात में वापस आते हैं। यही कारण है कि वो अपने परिवार को समय नहीं दे पाते हैं। पर इस कर्फ्यू से उनको उनके परिवार के साथ समय बिताने का वक्त मिल रहा है। वायरस का खौफ से ज्यादा इसके लिए सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री बधाई के पात्र है जो उन्होंने देश को एक संदेश दिया और आज उस पर पूरा देख अमल कर अपनों से जुड़कर अपनी पुरानी यादें को ताजा कर रहा है।
कानपुर देहात में रहने वाले सरवन अग्निहोत्री ने बताया कि वो उन्नाव में एक कम्पनी में काम करते हैं और रोज आते-जाते हैं। काम पर रोजना जाने के कारण वो परिवार के साथ समय नहीं गुजार पाते थे। लेकिन एक दिन ही सही पर आज परिवार के पूरा साथ मिला और बैठकर कुछ पुरानी यादें ताजा हो गईं।
औरैया के विनोद किसान हैं। उन्होंने भी इस कर्फ्यू में घर में रहकर परिवार, बच्चों के साथ समय बिताया है। यहां पर उन्होंने अपने बच्चों को बचपन की बातें बताई और खुशी के साथ बैठकर चूल्हे की रोटी व हरी सब्जियों से बने साग का लुत्फ उठाया।
वहीं कन्नौज के रहने वाले धर्मवीर ने बताया कि वो एक कोचिंग संचालक है और ’जनता कर्फ्यू’ में अपने घर रहकर आलू भूजंकर परिवार के साथ समय बिता रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह एक अच्छी शुरुआत है। इस वायरस से लड़ने की इस कर्फ्यू ने एक तो हमको बचाने का काम किया है वहीं अपनों के साथ समय बिताने का मौका दिया।
इसी तरह फर्रुखाबाद में रहने वाले संजय सेंगर ने बताया कि ज्यातर समय मोबाइल में गुजारने के साथ वो परिवार को समय नहीं दे पा रहे थे। आज एक डर है इस वायरस से,पर खुशी इससे भी ज्यादा यह है कि वह परिवार के साथ हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं आज जो इस ’जनता कर्फ्यू’ से अपनों के साथ लोग समय व्यतीत कर महसूस कर रहे हैं। छोटे बच्चे घरों में लूडो खेल रहे हैं तो बड़े अपनों के साथ पुरानी यादें ताजा करने में लगे हैं।