फल, सब्जियों के छिलके और भोजन को सड़ा कर बनाई जाएगी बिजली
कानपुर में फल, सब्जियों के छिलके और बचे भोजन को सड़ा कर बिजली बनाने की तैयारी है। प्रथम चरण में पांच मिली एम्पियर बिजली बनाने में कामयाब हुए डॉ. आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड (एआइटीएच) के प्रोफेसर और छात्र अब इसकी क्षमता बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। इसके लिए सेल के मैटीरियल में बदलाव किया जाएगा। संस्थान के प्रस्ताव को मंजूर कर उत्तर प्रदेश काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने प्रोजेक्ट पर काम करने को हरी झंडी दे दी है।

बायोटेक्नोलॉजी के छात्रों ने केले, अमरूद, अंगूर, दाल, चावल, सब्जी, आलू और अन्य बेकार खाद्य वस्तुओं को इलेक्ट्रोलाइट के घोल में डाला। कुछ दिन उसे सडऩे दिया। खाद्य पदार्थों के सडऩे से सूक्ष्मजीव सक्रिय हो गए। उनके भोजन खाने से इलेक्ट्रोलाइट में लगे सेल चार्ज हो गए। उनमें इलेक्ट्रॉन का प्रवाह हुआ, जिससे बिजली पैदा हुई।

इलेक्ट्रोलाइट वह घोल या तरल चालक होता है, जिसमें से विद्युत प्रवाहित होने पर रासायनिक क्रिया होती है। वह तरल चालक अपने अवयवों में विभाजित हो जाता है। वहीं विद्युत धारा प्रवाहित करने के लिए दो धात्विक छड़ों की आवश्यकता होती है, जिन्हें इलेक्ट्रोड कहते हैं

बायोटेक्नोलॉजी के प्रो. मनीष राजपूत के मुताबिक इलेक्ट्रोड का आकार और उसके पदार्थ को बदलने की तैयारी है। कंप्यूटरीकृत डाटा निकाला गया है। मैथमैटिकल मॉडिलिंग से इलेक्ट्रान का प्रवाह देखा गया है। उसे अन्य पदार्थों के साथ भी चेक किया जाएगा।