मौसम के बदले मिजाज से एक बार फिर तबाह होता दिख रहा किसान

कोरोना वायरस बना मुसीबत, किसानों को नहीं मिल पा रहे मजदूर

कानपुर । पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से जहां बीते दिनों हुई तेज बारिश के साथ ओलावृष्टि से किसानों की ज्यादातर फसलें चौपट हो गयी थी वहीं अब बदले मौसम के मिजाज से एक बार फिर किसान तबाह होता दिख रहा है। किसान समझ नहीं पा रहा है कि ऐसे मौसम में कैसे बची खुची फसलों को घर पहुंचाया जाये, तो वहीं दूसरी तरफ खतरनाक कोरोना वायरस और मुसीबत बन चुका है। कोरोना वायरस के डर के चलते किसानों को मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे उनकी खराब फसलें भी घर नहीं पहुंच पा रही हैं। मौसम विभाग का कहना है कि एक दो दिन में मौसम साफ हो जाएगा और किसान जल्द से जल्द अपनी फसलों को घर तक पहुंचाकर सुरक्षित करें।

किसानों की रवी की फसलें जिस समय अपनी परिपक्व अवस्था में थी तो पश्चिमी विक्षोभ पूरे उत्तर प्रदेश में सक्रिय हो गया। पश्चिमी विक्षोभ से हुई तेज बारिश के साथ ओलावृष्टि ने किसानों की लगभग सभी प्रकार की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया। इधर कुछ दिनों से मौसम कुछ साफ हुआ तो बची हुई फसलें पकने लगी तो किसानों को यह उम्मीद जगी कि साल भर के लिए भोजन मिल जाएगा। किसान अभी पकी हुई फसलों की कटाई की सोंच ही रहा था कि एक बार फिर मौसम का मिजाज बदल गया। दो दिनों से आसमान में बादल छाने लगे और किसानों की धड़कनें तेज होने लगी। शुक्रवार को आखिरकार मौसम ने अपना रंग दिखाना शुरु ही कर दिया और सुबह से ही बारिश होने लगी। ऐसे मौसम में एक बार फिर फसलों की कटाई का समय बढ़ गया और बची खुची फसलें भी खराब होने लगी।

कोरोना वायरस बना मुसीबत
सरसौल के किसान नरेश उत्तम का कहना है कि मौसम से तो फसलें खराब ही हो गयी हैं जो बची भी हैं वह भी घर सुरक्षित नहीं पहुंच पा रही हैं। कोरोना वायरस के खौफ से मजदूर मिल नहीं पा रहे हैं और जो मिल भी रहे हैं तो सावधानियां बरतने के चलते उतना काम नहीं हो पा रहा है। अब तो फिर बारिश हो गयी जिससे एक सप्ताह तक कटाई का काम लगभग थम गया। घाटमपुर के किसान रजनीश सिंह का कहना है कि इस वर्ष का मौसम किसानों के लिए पूरी तरह से प्रतिकूल रहा। फसलें अब घर लाने का समय हुआ तो फिर मौसम का मिजाज बदल गया। इधर कोरोना किसानों की रीढ़ की हड्डी तोड़ रहा है। कोरोना के कहर के साथ अगर मौसम का ऐसा ही मिजाज रहा तो किसान की कमर पूरी तरह से टूट जाएगी और उसे उबरने में समय लगेगा। उन्होंने कहा कि मौसम के इस बदलाव में सरकार को आगे आना चाहिये और किसानों को मुआवजा देना चाहिये।

डगमगा जाएगी अर्थव्यवस्था
बिल्हौर के किसान रामकिशन कटियार का कहना है कि भारत कृषि प्रधान देश है और देश की अर्थव्यवस्था की जीडीपी में कृषि का अहम योगदान है। लेकिन जिस तरह से मौसम की मार किसान झेल रहा है साथ ही कोरोना वायरस के खतरे का जो खौफ है उससे देश की अर्थव्यवस्था डगमगा जाएगी, क्योंकि हर किसान अपनी पूरी फसल सही सलामत घर ले जाने में असमर्थ होगा। बताया कि वैसे पहले ही किसान की तीन चौथाई फसल बर्बाद हो चुकी है और बची हुई फसल घर तक पहुंचने में समस्याओं का अंबार खड़ा हो गया है। दिनेश सिंह ने बताया कि खेतों में गेहूं की फसल के साथ अन्य रबी की फसल पकी खड़ी है जिसको काटने की तैयारी ही हो रही थी कि कोरोना वायरस घरों पर बैठने को मजबूर कर दिया। इधर मौसम का भी मिजाज बदल गया, ऐसे में पकी हुई फसलों को घर तक ले जाना चुनौती बन चुका है।

मौसम वैज्ञानिक का कहना
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डा. नौशाद खान का कहना है कि मौसम की मार झेल चुका किसान अब बदले हुए मौसम को देख उनके चेहरों पर चिंता की लकीरे साफ देखी जा सकती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि दो दिन बाद आसमान साफ हो जाएगा और किसानों को चाहिये कि जितना जल्दी हो सके कटाई करके फसलों को घर तक ले जायें। बताया कि मौसम साफ होने पर दो से तीन दिनों में कटाई होने लगेगी और ऐसे समय में किसान बिना समय गवांए फसलों को सुरक्षित करे।