कानपुर, दुनिया और देश में तेज़ी से बढ़ते और फैलते संक्रामक रोग कोरोना वायरस से बचने और बचाने के लिये स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जो हिदायतें जारी की जा रही हैं उन पर गंभीरता से अमल करना प्रत्येक नागरिक की ज़िम्मेदारी है। नमाज़ वग़ैरह का एहतिमाम हर मुसलमान के लिये लाज़िम है और पंजवक़्ता नमाज़ फर्ज़-ए-ऐन है और मस्जिद में जमाअत के साथ नमाज़ इस्लामी पहचान है लेकिन अपरिहार्य कारणवश ख़राब हालात में जुमा और जमाअत में शिरकत न करने की शरीअत इजाज़त देती है, इसलिये मौजूदा संक्रामक रोग से बचाव के लिये एहतियातन तमाम नमाज़ियों को चाहिये वह कुछ दिन (संक्रमण से निजात तक) पंजवक़्ता नमाज़ें घर में अदा फरमायें। इन विचारों को जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी क़ाज़ी ए शहर कानपुर, मदरसा मज़हरूल उलूम निकट्ठूशाहर के मुफ्ती इक़बाल अहमद क़ासमी, मदरसा जामे उल उलूम पटकापुर के मुफ्ती मौलाना अब्दुर्रशीद क़ासमी, हक़ एजुकेशन एण्ड रिसर्च फाउण्डेशन के मौलाना हिफ्जुर्रहमान क़ासमी ने संयुक्तरूप से प्रेस कान्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए किया। उन्होंने बताया कि शहर के तीस से ज्याद उलमा व मुफ्ती और इमाम हज़रात इसपर सहमति व्यक्त कर चुके हैं कि मस्जिद में सिर्फ इमाम व मुअज्ज़िन और खुद्दाम(सेवक) पंजवक़्ता नमाज़ की जमाअत अदा करें ताकि मस्जिदें जमाअत की नमाज़ से ख़ाली ना रहें। बड़ी संख्या में मस्जिद में हरगिज़ जमा ना हों और जमाअत की नमाज़ भी बेहद मुख्तसर(छोटी) अदा की जाये। मस्जिदों की सफाई सुथराई पर विशेष ध्यान दें और अगर हालात का तक़ाज़ा हो तो अज़ान के बाद यह ऐलान भी कर दिया जाये कि आप हज़रात अपने-अपने घरों में नमाज़ का एहतिमाम करें। फिलहाल मस्जिद में आने की ज़हमत ना करें। इमाम अपनी मस्जिद के नमाज़ियों को हालात की नज़ाकत बता दें और कोशिश यही करें कि लोग नमाज़, दुआ और इस्तेग़फार से ग़ाफिल ना हों और भीड़ भी जमा ना हो। उन्होंने मस्जिद के मुतवल्लियों से अपील की है कि वह इन हिदायतों पर अमल को यक़ीनी बनायें। मौलाना क़ासमी ने कहा कि देश के विश्वसनीय उलमा और मुफ्ती हज़रात ने इस बात पर सहमती व्यक्त करते हुए अपील भी की है।
क़ाज़ी ए शहर मौलाना उसामा ने प्रेस कान्फ्रेंस में बताया कि हुकूमत और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोरोना वायरस (कोविड-19) से बचाव के लिये जिन सावधानियों को बरतने का मशविरा दिया जा रहा है , शरीअत कहती है कि उन्हें नज़र अंदाज़ ना किया जाये बल्कि शरीअत के दायरे में रहते हुये उनका पालन होना चाहिये। सदक़ा, खैरात का एहतिमाम किया जाये, मुहल्ले और पड़ोस में मौजूद ग़रीब और आर्थिक रूप से परेशान लोगों का विशेष ख्याल रखें।
क़ाज़ी ए शहर ने तमाम मुसलमानों से पुरज़ोर अपील है कि इस मामले में लापरवाही ना बरतें, ज़्यादातर वक़्त घर में रहकर गुज़ारें, घर से बाहर सड़क और गलियों में भीड़ ना लगायें। नौजवानों को बाहर खेल-कूद का माहौल बनाने से परहेज़ करना चाहिये और इस वक़्त स्वास्थ्य विभाग की तरफ से इस वायरस से बचाव के लिये जो हिदायतें दी जा रही हैं उनपर सख्ती से अमल करें और घरों को इबादत, तिलावत, तौबा व इस्तेग़फार से आबाद रखें। प्रेस कान्फ्रेंस में क़ाज़ी ए शहर मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी , मुफ्ती इक़बाल अहमद क़ासमी, मुफ्ती अब्दुर्रशीद क़ासमी के साथ जमीअत उलमा के नगर अध्यक्ष डा0हलीमुल्लाह खां, मौलाना फरीदुद्दीन क़ासमी, क़ारी अब्दुल मुईद चौधरी, मौलाना अयाज़ साक़िबी मौजूद रहे।