15 मार्च को निकलेगा कानपुर का ऐतिहासिक रंगों का ठेला

कानपुर । क्रांतिकारियों की धरती कानपुर में होली का रंग कुछ अलग ढंग से खेला जाता है और हो भी क्यों न, यहां के वीर सपूतों की याद में ऐतिहासिक गंगा मेला का आयोजन होता है। सात दिनों तक चलने वाली कानपुर की होली का समापन जिस गंगा मेला के साथ होता है, वह अबकी बार 15 मार्च को होगा। रविवार को अनुराधा नक्षत्र पर हटिया के रज्जन बाबू पार्क में पहले क्रांतिकारियों को पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी। इसके बाद यहां से ऐतिहासिक रंगों का ठेला निकलेगा। परंपरागत रूट पर निकलने वाले रंगों का ठेला के साथ शाम को पार्क में बाल मेला भी लगेगा।

गंगा मेला के बारे में जानकारी देते हुए कानपुर हटिया होली महोत्सव कमेटी के संरक्षक मूलचंद्र सेठ, संयोजक ज्ञानेंद्र विश्नोई, विजय सिंह ने बताया कि 15 मार्च रविवार को रज्जनबाबू पार्क में उत्सव होगा। यहां पर डीएम डा. ब्रह्मदेव राम तिवारी और एसएसपी अनंत देव समेत अन्य गणमान्य नागरिक क्रांतिकारियों के नाम लिखे शिलालेख पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद पार्क में तिरंगा फहराया जाएगा। पुष्पांजलि, सम्मान के बाद रज्जन बाबू पार्क से रंगों का ठेला निकलेगा। यह रंगों का ठेला परंपरागत मार्गां से होते हुए वापस हटिया में समाप्त होगा। कमेटी पदाधिकारियों ने कहा कि गंगा मेला की ऐतिहासिकता के बावजूद कई समस्याओं का हल नहीं हो पाया है। पार्क के चारों तरफ अतिक्रमण अभी भी उसी तरह है और पार्क के अंदर से ट्रांसफॉरमर हटाए नहीं गए हैं। जुलूस मार्ग की सड़कों की मरम्मत के साथ ही बाजार बंदी के दौरान पुलिस गश्त तेज करने की मांग की गई। इसके अलावा नालियों में कीटनाशकों का छिड़काव, तिरंगा फहराने के दौरान राष्ट्रगान बजाने के लिए पुलिस बैंड की उपलब्धता के साथ अन्य मांगें भी की गईं। यहां पर अरूण अग्रवाल, संतोष बाजपेयी, राम अवतार गुप्ता आदि मौजूद रहें।


अंग्रेजों ने रंग खेलने पर लगाई थी रोक - गंगा मेला के इतिहास की जानकारी देते हुए मूलचन्द्र सेठ ने बताया कि 1942 में ब्रिटिश हुकूमत के दौरान तत्कालीन कलेक्टर ने होली खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन हटिया के नवयुवकों ने अपने पर्व को मनाने का निर्णय लिया। इन नवयुवकों ने बाबू गुलाब चंद्र सेठ की अगुवाई में रज्जन बाबू पार्क में तिरंगा फहराकर होली खेली। इसके बाद पार्क को घेरे पुलिस ने यहां पर होली खेल रहे नवयुवकों को गिरफ्तार कर लिया। इसके प्रतिकार स्वरूप पूरे शहर में खूब होली खेली गई और कहा गया कि जब तक गिरफ्तार युवकों को नहीं छोड़ा जाता, तब होली खेली जाती रहेगी। अंततः ब्रितानिया हुकूमत को झुकना पड़ा और अनुराधा नक्षत्र के दिन सभी गिरफ्तार युवकों को रिहा किया। जिस दिन यह रिहाई हुई, उस दिन अनुराधा नक्षत्र था. इसके बाद फिर यहां पर होली खेली गई। इसी परंपरा को आज तक निभाया जा रहा ह़ै। वहीं जिला प्रशासन ने इस ऐतिहासिक मेले को लेकर तैयारियां कर रहा है। जिलाधिकारी ने कहा कि गंगा मेला के आयोजन में किसी प्रकार की कमी नहीं की जाएगी।