शीतलहर से अस्पतालों में ठिठुर रहे मरीज और तीमारदार
- पत्राचार के बाद भी अस्पतालों में नगर निगम ने नहीं जलवाए अलाव

कानपुर । पहाड़ों से हो रही बर्फवारी के चलते गुरुवार को कानपुर पिछले पांच दशक में सबसे ठंढा रहा। ऐसे में शीतलहर के चलते जहां लोग घरों में दुबकने को मजबूर हैं तो अस्पतालों में मरीज व तीमारदार नगर निगम की लकड़ी का इंतजार कर रहे हैं। हैलट, उर्सला व अन्य अस्पतालों में ठंड से निपटने के कोई इंतजाम नहीं हैं। कैंपस में अलाव व वार्ड में पर्याप्त कंबल न होने से मरीज व तीमारदार ठंड से ठिठुर रहे हैं। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि नगर निगम को पत्र भेजा जा चुका है लेकिन अभी तक अलाव की व्यवस्था नहीं हो पायी।
तेज हवाओं के चलने से हाड़ कंपाने वाली ठंड शुरू हो गयी है लेकिन हैलट, बालरोग अस्पताल, जच्चा बच्चा, चेस्ट व अन्य अस्पतालों में ठंड से बचाव के इंतजाम नहीं हो पाये हैं। गुरुवार को हैलट ओपीडी में सर्दी के चलते कम मरीज पहुंचे। वार्ड में भर्ती मरीज व तीमारदार ठंड से ठिठुरते नजर आये। हल्के कंबल उनकी सर्दी शांत नहीं कर पा रहे थे। कई तीमारदारों ने घर से रजाइयां मंगवायी। हैलट व अन्य अस्पतालों में कहीं भी अलाव के इंतजाम नही हैं। ऐसे में मरीज व तीमारदारों की शामत आ गयी है। हैलट के प्रमुख अधीक्षक डा. आरके मौर्या का कहना है कि नगर निगम को पत्र भेजकर अलाव की व्यवस्था करने को कहा गया है। नगर निगम के अधिशाषी अभियंता अशोक भाटी ने बताया कि हैलट, उर्सला और कार्डियोलॉजी सहित सरकारी अस्पतालों के पत्र मिलें हैं और जल्द ही वहां पर लकड़ी पहुंचायी जाएगी। किसी भी मरीज और तीमारदार को परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
बेअसर साबित हो रहा डेंगू
कड़ाके की ठंड ने डेंगू वायरस के तेवर ढीले कर दिये हैं। हैलट ओपीडी के मेडिसिन विभाग में गुरुवार को काफी कम मरीज नजर आये। मेडिसिन विशेषज्ञ डा. बीपी प्रियदर्शी ने बताया, अचानक पारा नीचे जाने से डेंगू के मरीज काफी कम हो गये हैं। मौतें भी थम गयी हैं। पैथालाजी विभागाध्यक्ष डा. महेंद्र सिंह का कहना है कि इस बार कम तापमान में भी डेंगू वायरस काफी दिनों तक सक्रिय रहा। लेकिन अचानक पारा गिरने से वायरस निष्क्रिय हो गया है। अब पाजीटिव केस गिनती के ही आ रहे हैं।
ब्रेन स्ट्रोक और हार्टअटैक से नौ की मौत
कड़ाके की ठंड और शीतलहर इस समय ब्लडप्रेशर, शुगर और दिल के मरीजों के लिए काल बनी हुई है। गुरूवार को भी अलग-अलग अस्पतालों में ब्रेन स्ट्रोक, हार्टअटैक से नौ लोगों की मौत हो गई। डॉक्टर लगातार मरीजों को एहतियात के साथ सही खानपान की सलाह दे रहे हैं।