फतेहपुर। शहर हो या कस्बा या फिर ग्रामीण अंचलों के सम्पर्क मार्ग आपको सवारियों में खचाखच भरे ओवर लोड ईरिक्शा व विक्रम जरूर दिख जायेंगे। महावारी के चक्कर में इलाकाई पुलिस भी कोई ठोस कदम नहीं उठाती है। जिससे ओवर लोड विक्रम एक लाइलाज बीमारी बन गयी है। जिसका खमियाजा राहगीरों व यात्रियों को कभी-कभी तो अपनी जान गंवाकर भी चुकाना पड़ता है। ओवर लोड आटो की बात जब आती है तो दिनभर व्यस्त सड़कों में गूंज रही ओए-ओए एक रिक्शे वाले, ए साइकिल वाले आदि शब्द दिमाग में गूंजने लगते है। इन शब्दों को सुनने से आगे जा रहा राहगीर हड़बड़ाहट में कभी खंती में घुस जाता है तो कभी घबरा कर गिर जाता है। जब तक कोई मदद के लिए उसके पास पहुंचता है उस समय तक विक्रम काफी दूर निकल चुका होता है। घायल के मददगार बने राहगीर वा अन्य लोग उसे उपचार के लिए अस्पातल तक पहुंचा कर अपना कर्तव्य तो जरूर दिखा देता है। लेकिन बाद में घायल घटना को होनी मानकर भूल जाता है और दुर्घटना की अंजाम देने वाले यह विक्रम दिनभर बेफिक्र होकर फर्राटा भरते रहते है। यह समस्याएं विक्रम पर यात्रा करने वाली सवारियां के लिए भी कम नही हैं। जब तक बाहर कुछ एक सवारियां लटक कर न बैठ जाये तो चालक को संतोष नही होता। जिससे यात्रियों को अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचने तक जहां अधिक समय जाया करना पड़ता हैं वही झुंझलाहट भी कम नही होती है। जिससे आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती है। इन ओवर लोड वाहनों पलटने से कई लोग तो अपनी जान तक गंवा देते है। जिससे ओवर लोड की समस्या से निजात दिलाना प्रशासन के लिए चुनौती है। लेकिन आज तक इलाकाई पुलिस ने इस समस्या को खत्म करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यदि प्रयास किये गये भी हैं तो वह नाकाफी रहे है। जिससे ओवर लोड की समस्या लाइलाज हो गयी है। सूत्र तो यहां तक बताते है कि इलाकाई पुलिस क्षेत्र में चलने वाले ईरिक्शां व विक्रमों के बकायदा माहवारी वसूलती है। जिससे इस समस्या से मुंह मोड़े रहती है। इतना ही नही पुलिस इन वाहनों से बेगार भी कराती है। जिससे यह वाहन धड़ल्लू से मौतों को दावत दे रहे है।
बेखौफ होकर मार्गो पर ओवर लोड चल रहे डग्गामार वाहन