अब रोबोट करता है हृदय सर्जन की मदद


प्रस्तुति – ज्ञानभद्र


भारत में हृदय चिकित्सा एक क्रांतिकारी दौर से गुज़र रही है. क्रांति का यह आलम है कि दो दशक पूर्व जो रोबोट केवल एक कपोल कल्पना थी, अब वह कपोल कल्पना यथार्थ के रूप में साकार हो चुकी है. इस कपोल कल्पना को  यथार्थ के धरातल पर उतारने का श्रेय गुड़गांव-स्थित मेदांता अस्पताल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ नरेश त्रेहन को जाता है.


दा विन्सी के नाम से पुकारे जाने वाले इस रोबोट के धातु से बने हाथ के सिरे पर कैमरा लगा होता है. रोबोटिक सर्जरी के अंतर्गत, मरीज़ के दाएं वक्ष पर 5 से 8 सेंटीमीटर का चीरा लगाया जाता है.


ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि उसकी पसलियों के मध्य से छोटा सा पांच मिलीमीटर का टेलीस्कोप अंदर किया जा सके. रोबोट पर लगा कैमरा इस प्रतिबिंब को पकड़ लेता है और वीडियो स्क्रीन पर प्रसारित कर देता है. और यह प्रतिबिंब त्रिआयामी (3-डी) होता है. इस चिकित्सा के दौरान, रोबोट सर्जन के निर्देशन पर काम करता है. वस्तुतः कंप्यूटर मेमोरी कार्ड जिसे सर्जन ऑपरेशन से पूर्व रोबोट में डालते हैं, उसके ज़रिए रोबोट वह आवाज़ पहचानता है. मसलन्; 'दाएं चलो, 'बाएं चलो', 'आगे बढ़ो' वैसे ही रोबोट निर्देशन का पालन करता है. "दा विन्सी रोबोटिक सर्जरी तकनीक जोकि न्यूनतम चीर-फाड़ वाली तकनीक है, इसके माध्यम से जटिल हृदय बीमारियों का इलाज परिशुद्धता के साथ किया जाता है," यह कहना है डॉ नरेश त्रेहन का.


डॉ त्रेहन आगे बताते हैं कि इस सर्जरी तकनीक के माध्यम से हृदय में छेद और हृदय-वॉल्व से संबंधित सभी रोगों का इलाज किया जाता है. इस सर्जरी के पश्चात् हृदय रोगी को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिलता है; और दो-तीन दिनों में वह घर जा सकता है. सर्जरी के दौरान, रक्त की हानि न्यूनतम होती है. दा विन्सी रोबोटिक सर्जरी के लिए की जानेवाली तैयारियां किसी अन्य न्यूनतम चीर-फाड़ वाली तकनीक की भांति ही होती हैं. फ़र्क सिर्फ़ इतना होता है कि सर्जन के हाथों के स्थान पर रोबोट के हाथों द्वारा सर्जरी का कार्य संपादित होता है. एमआरआई या सीटी स्कैन के द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि किस स्थान पर अवछेदन किया जाना है. परिशुद्धता के लिए स्कैन वाली रिपोर्ट को दा विन्सी प्रौद्योगिकी में शामिल कर दिया जाता है. रोबोट के माध्यम से प्रसारित की जाने वाली हृदय की 3-डी तस्वीरें भी परिशुद्धता में इजाफ़ा करती हैं.


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