पैगम्बरे इस्लाम की विलादत पर सारा जहाँ रौशन व मुनव्वर हो गया:मुफ्ती मुहिब रज़ा
तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम जशने आमदे रसूल का आठवां जलसा मस्जिद नूरी बकरमंडी मे हुआ

 

कानपुर:तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम जशने आमदे रसूल का आठवां जलसा नूरी मस्जिद नियर बजरिया थाना बकरमंडी मे हुआ जिसकी सदारत तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री ने की जरीब चौकी स्थित दारूल उलूम रज़ा-ए-मुस्तफा के प्रिसिंपल हज़रत अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद मुहिब रज़ा हबीबी ने खिताब फरमाते हुए कहा कि हम अहले सुन्नत वल जमाअत का अक़ीदा है कि अल्लाह पाक ने सबसे पहले पैगम्बरे इस्लाम का नूर तखलीक़ फरमाया हदीसे पाक मे है जिसका तर्जुमा है यानि मै एक पोशीदा खज़ाना था जब मैने चाहा कि मै पहचाना जाऊं तो मैने नूरे मोहम्मदी को पैदा फरमाया हज़रत इमाम अब्दुर्रज़्ज़ाक़ अपनी किताब मे अपनी सनद के साथ सैयदना जाबिर सो रिवायत है कि हज़रत जाबिर ने बारगाहे रिसालत मे अर्ज़ किया या रसूलल्लाह मेरे माँ बाप आप पर क़ुर्बान हों मुझे खबर दी कि वह पहली चीज़ कौन सी है जिसे अल्लाह पाक ने तमाम चीज़ो से पहले पैदा फरमाया पैगम्बरे इस्लाम ने इरशाद फरमाया ऐ जाबिर बेशक अल्लाह पाक ने तमाम चीज़ो से पहले तेरे नबी का नूर औा अपने नूर से पैदा फरमाया इस हदीस से नूरे मोहम्मदी का अव्वलुल खल्क़ होना साबित हे गया फिर अल्लाह ने जब चाहा इस नूर को हिजाब मे रखा यानि अपने कुर्बे खास मे रखा जैसा कि हदीस से जाहिर है कि जब पैगम्बरे इस्लाम ने हज़रते जिबरीले अमीं से उनकी उम्र के बारे मे पूछा तो अर्ज़ किया या रसूलल्लाह मुझे अपनी उम्र के बारे मे नही मालुम बस इतना जानता हूँ कि चौथे हिजाब मे एक तारा 70 हज़ार साल मे एक बार चमकता था उसको मैने 72 हज़ार बार देखा है पैगम्बरे इस्लाम ने फरमाया जानते हो वह तारा कौन था हज़रते जिबरील ने  फरमाया या रसूलल्लाह मुझे नही मालुम पैगम्बरे इस्लाम ने फरमाया ऐ जिबरील वह तारा कोई और नही मै ही था फिर उसके बाद वह नूरे पाक हज़रते अब्दुल्लाह तक पहुँचा फिर उनसे  मुनतकिल हो करके हज़रते आमना के शिकम मे आया फिर वही नूर 12 रबीउल अव्वल को सुबह सादिक़ के वक्त मक्का की सर ज़मीन मे अब्दुल्लाह के घर मे लिबासे बशरी मे जलवागर हुआ जिससे सारा जहाँ रोशन व मुनव्वर हो गया हाँ इस नूर ने  सिद्दीक़े अकबर को चमकाया,फारूक़े आज़म को चमकाया,उस्माने गनी को चमकाया,मौला अली को चमकाया,इमामे हसन, को चमकाया,इमामे हुसैन को चमकाया,गौसे आज़म को चमकाया,गरीब नवाज़ को चमकाया,मख्दूम शाह को चमकाया,आला हज़रत को चमकाया आज भी जो इस नूर से रिश्ता जोड़ लेता है वह हर तरफ चमकता ही रहता है जलसे को मस्जिद के पेश इमाम मौलाना शाह आलम क़ादरी ने भी खिताब किया इससे पहलो जलसे का आगाज़ तिलावते क़ुरान पाक से हुआ और ने नात पाक पेश की जलसा सलातो सलाम व दुआ के साथ खत्म हुआ जलसे के बाद शीरनी तक़सीम की गई इस मौक़े पर कमरूद्दीन बरकाती,अब्दुल बारी बरकाती,मोहम्मद मुख्तार,मोहम्मद शकील,नदीम सिद्दीक़ी,ज़मीर खाँ आदि लोग थे!