मीलादे मुस्तफा की महफिल सजाने वाले जन्नती:मुफ्ती क़ासिम अमजदी





-तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम जशने आमदे रसूल का चौथा जलसा शुजातगंज मे आजोजित

 

कानपुर तन्जीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के जेरे एहतिमाम चौथा सालाना 12 रोजा इजलास जशने आमदे रसूल का सिलसिला जारी है जिसका चौथा जलसा नूरानी मस्जिद चन्दारी शुजातगंज हुआ जिसकी सरपरस्ती मस्जिद के पेश इमाम कारी इम्तियाज़ अहमद कादरी ने की मदरसा जामिया मख्दूमिया सिराजुल उलूम चन्दारी के सदर दारूल इफ्ता हज़रत अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद क़ासिम रज़ा अमजदी ने मीलादुन्नबी और फुजूल खर्ची पर दलाईल के साथ गुफ्तगू की हदीसे नब्वी की रोशनी मे उन्होने जशने चिरांगा व जुलूस निकालने का सुबूत दिया और फरमाया कि अल्लाह पाक महफिले मीलाद करने की तौफीक उसको देता है जिसकी किस्मत मे जन्नत दिख दी गई है एक बार पैगम्बरे इस्लाम अपने अस्हाब के साथ सहाबी हजरते अबू आमिर अन्सारी रजि अल्लाहु अन्हु के घर पहुँचे तो देखा कि हजरत अबू आमिर अन्सारी अपने रिश्तेदारो को जमा करके पैगम्बरे इस्लाम की पैदाईश के वाक्यात सुना रहे हैं (जिसको मीलाद कहते है) जब हमारे आका ने उनको ऐसा करते देखा तो मुस्कुराए और फरमाया कि अबु आमिर जो काम तुम कर रहे हो तुम जन्नती हो और यह काम सुबह कयामत तक जो कोई करता रहेगा तो जिस तरह तुम जन्नती हो उसी तरह वह भी जन्नती होगा इस बात से हमे यह मालुम हुआ कि नबी की महफिल सजाने वाला जन्नती है इसलिए ऐ मुसलमानो अगर आप भी जहन्नम से आजादी चाहते हो जन्नत मे जाना चाहते हो तो नबी की मीलाद की महफिल सजाया करो उनका जिक्र सुना करो उनके बताए रास्ते पर चला करो उनसे सच्ची मोहब्बत किया करो तो यकीनन तुम भी जन्नत के हकदार हो जाओगे और जब नबी के नाम का जिक्र होता है तो शैतान को सबसे ज्यादा तक्लीफ होती है लेकिन याद रखो अगर मेरे नबी इस दुनिया मे तशरीफ न लाते तो जमीन,आसमान,लौहो,कलम कुछ भी न होता आज जो कुछ भी है वो मेरे नबी का सदका है इसीलिए तो आला हजरत फरमाते है कि (वह जो न थे तो कुछ न था वह जो न हो तो कुछ न हो जान हैं वह जहान की जान है तो जहान है) मौलाना ने आगे कहा कि माहे रबीउल अव्वल हर माह से अफजल है यूं तो माहे रमजानुल मुबारक मे अल्लाह पाक एक के बदले सत्तर नेकियॉ अता फरमाता है रमजान के महीने मे तो कुरआन का नुजूल हुआ लेकिन माहे रबीउल अव्वल मे साहिबे कुरआन तशरीफ लाए हमारे नबी की विलादत हुई  इससे पहले जलसे का आगाज तिलावते कुरआन पाक से हाफिज़ मोहम्मद मेराज ने किया और निज़ामत मौलाना मोहम्मद सलमान ने की हाफिज़ इंतिखाब अज़हरी,हाफिज़ लारैब,हाफिज़ तौसीफ ने बारगाहे रिसालत मे नात पाक पेश की जलसा सलातो सलाम व दुआ के साथ खत्म हुआ इस मौक़े पर जामिया मख्दूमिया के सभी मुदर्रिस समेत काफी लोग मौजूद थे!