मौलाना कलाम के खुतबे के बाद पाकिस्तान को ठुकरा हिन्दुस्तान में रुका मुसलमान - हयात ज़फर हाशमी




कानपुर आज एमएमए जौहर फैंस एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हयात ज़फर हाशमी की अध्यक्षता में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व आजाद भारत के पहले शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जंयती के अवसर पर आज प्रेमनगर स्थित कार्यालय में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। 

इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष हयात ज़फर हाशमी ने मौलाना आजाद को खिराज ए अकिदत पेश करते हुए कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद 1947 में हुए हिन्दुस्तान पाकिस्तान के बटवारे के खिलाफ और दुखी थे और उन्होंने पाकिस्तान को ठुकरा दिया था उन्होने दिल्ली की जामा मस्जिद पर खड़े होकर खुतबा दिया और मुसलमानों का आवाहन करते हुए खुतबे में कहा था कि यह वतन हमारा है इसको छोड़कर कहा जा रहे हो यहां हमारे अस्लाफ की कुर्बानियां शामिल हैं क्या इसको फरामोश कर दोगे यहां हमारे शहंशाह ए हिन्दुस्तान सरकार गरीब नवाज़ का आस्ताना है बुज़ुर्गों का बनाया हुआ ताज महल, लाल किला, कुतुबमिनार है यहां की मस्जिदें विरान हो जाएगी मत जाओ यह हिन्द को छोड़ कर मौलाना के खुतबे के बाद हिन्दुस्तान के मुसलमानों ने यहां रहने का फैसला किया और पाकिस्तान को ठुकरा दिया आज यहाँ मुसलमानों को शक कि निगाह से देखना मुसलमानों के साथ नाइंसाफी है 

हाशमी ने मौलाना की जिन्दगी पर रोशनी डालते हुए कहा आजाद साहब ने सबसे पहले अरबी और फारसी सीखी। इसके बाद उन्होनें गणित , बीजगणित , रेखागणित और दर्शनशास्त्र की पढ़ाई की। आखिर में मौलाना आजाद ने इतिहास , अग्रेंजी और राजनिति शास्त्र को सीखा।

1920 में मौलाना ने काग्रेंस जॉईन की। दिल्ली में 1923 में मौलाना को काग्रेंस अध्यक्ष बनाया गया। मौलाना को नमक कानुन तोड़ने के कारण गांधी के साथ 1930 में फिर से गिरफ्तार कर लिया। कलाम इस आरोप में करीब डेढ़ साल मेरठ की जेल रखें गए। मौलाना आजाद को 1940 में रामगढ़ अधिवेशन में काग्रेंस अध्यक्ष बने और 1946 तक रहें।

कलाम को विभाजन से बहुत दुख हुआ और वो विभाजन के खिलाफ थे। उन्होनें तो ये भी कहा की एक संगठित राष्ट्र के सपने को पूरी तरह से खत्म कर दिया। मौलाना आजाद ने पंडित नेहरू के मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री रहे। वह 1947 से 1958 तक शिक्षा मंत्री रहे। 22 फरवरी 1958 को दिल का दौरा पड़ने के कारण मौलाना आजाद का इन्तकाल हो गया।

 विचार गोष्ठी में राष्ट्रीय अध्यक्ष हयात ज़फर हाशमी के अलावा रईस अन्सारी राजू, मन्सूर आलम अन्सारी, जावेद मोहम्मद खान, मोहम्मद शारिक मंत्री, सैय्यद शाबान, अज़ीज़ अहमद चिश्ती, युसुफ मन्सूरी, हामिद खान, मोहम्मद ईशान,शहनावाज अन्सारी, मोहम्मद इलियास गोपी, साकिब मिस्बाही, नदीम सिद्दीकी, सैफी अन्सारी, एहतेशाम अन्सारी, जीशान, उजैर अन्सारी आदि थे