जुलूस ए मुहम्मदी नबी की शिक्षाओं का अलम्बरदार हो, पाकीज़ा माहौल में जुलूस निकालें - मतीनुल हक़ उसामा


कानपुर :- जमीअत उलमा शहर कानपुर के द्वारा निकाला जाने वाला जुलूस ए मुहम्मदी जो इस वर्ष 10 नवम्बर दिन रविवार को दोपहर 1 बजे रजबी ग्राउण्ड परेड कानपुर से उठ कर अपने रिवायती मार्गा से गुज़र कर फूलबाग़ में मग़रिब की नमाज़ पढ़कर खत्म होगा। इसी के साथ बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक़ का भी फैसला आने वाला है। इस सिलसिले में शहर के उलमा, मस्जिदों के इमामों, बुद्धिजीवियों ,जमीअत उलमा के सदस्यों और जुलूस में शामिल होने वाली अंजुमनों की होने वाली बैठक को संबोधित करते हुए जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी क़ाज़ी ए शहर कानपुर ने फरमाया कि बहैसियत मुसलमान होने के हमारी यह आस्था है कि अल्लाह के आखिरी और महबूब पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम विश्व में सबसे अफज़ल(अच्छे) हैं। इसलिए आप स0अ0व0 के नाम पर निकलने वाला जुलूस नबी शिक्षाओं का अलम्बरदार होना चाहिए। जुलूस का माहौल रूहानी होना चाहिए जिसमें नूर की बारिश हो। डी0जे0 शोर और हंगामें से बचते हुए पाकीज़ा माहौल में जुलूस निकालें। बाबरी मस्जिद केस पर बात करते हुए कहा कि हमने अपनी ताक़त भर कोषिष कर लीं, अब फैसला हमारे पक्ष में आये या ना आये उसको हम अल्लाह पर छोड़ दें। हमें मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और जमीअत उलमा हिन्द के द्वारा जारी की गयीं गाइड लाइन के अनुसार क़ौम को हद से खुशी मनाने या मायूस होने और उग्र होने से बचाना है।
मुख्य अतिथी के रूप में तशरीफ लाये ए.डी.एम. जनाब विवेक श्रीवास्तव साहब ने कहा जमीअत उलमा के नेतृत्व में निकलने वाले जुलूस का गवाह हूं। आप स्पीकरों की आवाज़ कम रखें, हमारे वालंटियर्स और सिविल डिफेंस के लोग हर सम्भव मदद के लिए तैयार रहेंगे। हाईकोर्ट के द्वारा यूपी में सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर पाबन्दी लगाई जा चुकी है उसका प्रयोग ना करें। हम सभ्य समाज के सभ्य नागरिक हैं तो जो इसके नियम हैं उसको भी मानना चाहिए। सफाई ऐसी चीज़ है जिसके लिये अगर हम किसी संस्था पर निर्भर रहेंगे तो हमें अपेक्षि परिणाम नहीं हासिल हो सकते, सफाई के लिये हमें स्वयं भी प्रयत्न करने होंगे। अयोध्या फैसले पर कहा कि कोई भी व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से ग़म या खुशी अपने घर के अन्दर मना सकता है लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर पटाखा फोड़ने, जलसे करने या किसी तरह का कार्यक्रम करने की इजाज़त नहीं है। देश में सर्वाच्च न्यायालय के आगे कोई न्यायालय नहीं है , इसलिये हम सब उसका सम्मान करें। प्रशासन के लोग हो सकता है बदल जायें, उनका स्थानान्तरण हो जाये लेकिन आप सबको इसी शहर में रहना है तो इस शहर के माहौल के बारे में भी हम सभी को मिलकर सोचना होगा।
एस.पी. पूर्वी राजकुमार अग्रवाल साहब ने तमाम उलमा और इमामों के सामने अपनी बात का आग़ाज एक हदीस से किया जिसमें बताया गया है कि दीन के लिये सबसे मज़बूत और ज़रूरी चीज़ मुहब्बत है। उन्होंने कहा कि जुलूसे मुहम्मदी के बारे में सभी लोग जानते हैं कि यह नबी स0अ0व0 के जन्म के अवसर पर निकाला जाता है, इसलिये हम अपने जीवन में भी नबी स0अ0व0 के चरित्रों और अख्लाक़ को उतारें। जुलूस के दौरान हम को सफाई का विषेष ध्यान रखना होगा। तबर्रूक बांटने वाले साथ में एक डस्टबिन भी पास में रखें ताकि तबर्रूक की बेअदबी ना हो। अयोध्या निर्णय पर बात करते हुए कहा कि निर्णय किसी के पक्ष में आये या ना आये किसी को नाराज़गी या जष्न मनाने की इजाज़त नहीं है, सभी को न्यायालय का सम्मान करना है। अगर साम्प्रदायिक लोग कुछ गड़बड़ी करते हैं तो फिर क़ानून अपना काम करेगा। इमाम हज़रात हमें अपना समझें, हम और हमारी पूरी टीम आप ही लोगों की सेवा के लिये हैं।
हृदय रोग विषेषज्ञ डा.मुहम्मद जीमल ने कहा कि प्रदूषण सिर्फ धुआं या गंदगी ही नहीं है बल्कि तेज़ आवाज़ भी एक प्रकार का प्रदूषण ही है, अगर ध्वनि का यह प्रदूषण इसी तरह बढ़ता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी सुनने की क्षमता बेहद कमज़ोर हो जायेगी। इसलिये गुज़ारिष है कि अपने लाउडस्पीकरों की आवाज कम रखें, तेज़ आवाज़ से मरीज़ों को भी परेषानियों का सामना करना पड़ता है।
इसके अलावा मौलाना मुहम्मद अकरम जामई, हामिद अली अंसारी, मुर्सलीन खां भोलू, मुहम्मद इस्हाक़ आदि ने भी विचार व्यक्त किए। बैठक में 100 से अधिक मस्जिदों के इमामों और उलमा ने नगर में शांति व्यवस्था की स्थापना और लोगों को पुरअमन रखने की कोशिशें करने की शपथ ली।