केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति वेतन मिलने की मांग लेकर सांसद से मिले बैंक कर्मी

- भारतीय बैंक संघ द्वारा की जाने वाली द्विपक्षीय वार्ता पर लगनी चाहिये रोक

कानपुर । उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में रविवार को बैंक कर्मियों ने अकबरपुर से भाजपा सांसद देवेन्द्र सिंह भोले से मिले। बैंक कर्मियों ने मांग की कि केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति वेतन और पेंशन मिलनी चाहिये, जबकि पहले बैंक कर्मियों का वेतन अधिक था पर अब बहुत सी विसंगतियां आ गयी है। जिससे बैंक कर्मियों को उनके पद के अनुसार वेतन नहीं मिल पा रहा है। सांसद ने भरोसा दिलाया कि आपकी आवाज को संसद में उठाया जाएगा। 
वहीँ बैंकर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी ने रविवार को काकादेव स्थित अकबरपुर से भाजपा सांसद देवेन्द्र सिंह भोले के आवास पहुंचे। उस समय सांसद विजय नगर विधानसभा के उपचुनाव में लगे हुए थे। जिससे उनको कुछ देर इंतजार भी करना पड़ा। आवास में बैंक कर्मियों के पहुंचने पर सांसद थोड़ी देर में आवास पहुंच गये। बैंक कर्मियों ने सांसद से मिलकर कहा कि वर्ष 1979 तक बैंक कर्मियों का वेतन केंद्र सरकार के कर्मचारियों से अधिक होता था। अब बैंक कर्मचारियों का वेतन केंद्रीय कार्यालयों के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के बराबर रह गया है। बैंक कर्मचारियों ने यह भी बताया कि केन्द्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है। जिसके अनुसार केंद्र सरकार के क्लास वन अधिकारी बैंकों में कार्यरत जूनियर मैनजमेंट ग्रेड एक अधिकारी के बराबर है। इसके साथ ही केंद्र सरकार के ग्रेड सी कर्मचारी बैंकों में कार्यरत लिपिकीय कर्मचारियों के बराबर हैं। इसके बावजूद वेतन को लेकर विसंगतियां हैं और पेंशन भी हमें केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति मिले। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों केंद्र सरकार ने वेतन के संबंध में जो निर्णय लिया है, उसके हिसाब से बैंक के अधिकारियों, कर्मचारियों का वेतन भी केंद्र के बराबर होना चाहिए था। सांसद ने आश्वासन दिया कि आपकी आवाज को संसद में उठाया जाएगा और सरकार तक बात पहुंचायी जाएगी। जिसके बाद बैंक कर्मचारियों के पदाधिकारी ज्ञापन देकर वापस लौट गये।
जनवरी से की जाएगी अनिश्चितकालीन हड़ताल
बैंक कर्मचारियों ने मांग की कि भारतीय बैंक संघ द्विपक्षीय वार्ता करने जा रहा है जिस पर रोक लगनी चाहिये। यह वार्ता कर्मचारियों के हितों में नहीं है। बताया गया कि खुद भारतीय बैंक संघ 30 सितम्बर 2019 को जारी परिपत्र में स्वीकार कर चुका है कि उसे नियोक्ता बैंकों का प्रतिनिधित्व करते हुए वेतन समझौता करने का कोई विधिक अधिकार नहीं है। इसलिए अब सरकार को इस पर हस्तक्षेप करना चाहिए। कर्मचारियों ने कहा कि अगर ऐसा न हुआ तो अगले वर्ष जनवारी माह से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।