- देर रात तक गुलजार रहीं बाजारें
- सोने-चांदी के आभूषण सहित अन्य सामानों की जमकर हुई खरीदारी
फतेहपुर। गंगा एवं यमुना के द्वोआबा में बसे जनपद में भी धनवंतरि (धनतेरस) महापर्व आज धूमधाम से मनाया गया। परम्परागत ढंग से लोगों ने विभिन्न धातुओं से निर्मित वस्तुयें खरींदी। खासकर आभूषणों और बर्तनों की दुकानों में ज्यादा भीड़ रही। जनपद मुख्यालय की मुख्य बाजार चैक में अर्द्धरात्रि के बाद भी खरीददारों की खासी भीड़ जमा थी और लोग दुकानों में अपनी-अपनी पसंद का सामान खरीदने के लिए पहॅंुचे। धनतेरस का पर्व अपने आप में एक परम्परा का अंग है जो दीपावली के दो दिन पूर्व मनाया जाता है। धन के देवता कुबेर एवं मृत्यु देवता यमराज की सनातन धर्म के अनुयायियों ने पूजा-अर्चना कर गृहस्थी में धन सम्पदा अर्जित करने के लिए सोने-चांदी के जेवरात, सिक्के एवं गृहस्थी के सामानों की खूब जमकर खरीदारी कर धार्मिक त्योहार की परम्पराओं का निर्वहन किया।
धनतेरस के अवसर पर चैक बाजार की व्यस्तता एक बार फिर शीर्षता को स्पर्श कर रही थी। धातु बाजार में तो जैसे तिल भर की भी जगह नहीं बची थी। यही नहीं बाजार के दूसरी ओर लइया, गट्टा, पट्टी, खिलौने आदि की दुकानों में दोपहर से जो सघन खरीददारी का दौर शुरू हुआ वह देर रात तक जारी रहा। वैसे भी व्यस्त जीवन से शाम को निजात पाने वाले नौकर पेशा लोग अपने परिवारों के साथ अमूमन सूर्यास्त के बाद ही यहां खरीददारी को निकलते हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ। शाम ढलते ही सोने चांदी की दुकानों में सहसा रौनक बढ़ गयी और दोपहर तक मायूस दिख रही बर्तन मण्डी में भी भीड़ ने जैसे कदम रखा बर्तन बाजार के संचालकों का उत्साह बढ़ गया। धनतेरस का पर्व पूरे जनपद में परम्परागत ढंग से हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। लोगों ने धातु और खानपान के सामानों के साथ गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां खासकर जो मिट्टी और पीओपी से निर्मित थी उनकी खरीददारी की। बच्चों का खिंचाव तो खिलौने के साथ-साथ पटाखों की ओर था। इन दुकानों में भी जमकर खरीददारी हुई। यही नहीं इलेक्ट्रानिक दुकानों में दोपहर से ही भीड़ लगी थी। शहर की लगभग सभी इलेक्ट्रानिक दुकानों में दीवाली धमाका और बम्पर धमाका आफर पेश किया गया। चार पहिया से लेकर मोटर साइकिल, टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन आदि इलेक्ट्रानिक सामानों की जमकर खरीददारी हुई। वैसे भी धनतेरस के दिन इन सामानों की खरीददारी का खास महत्व होता है। ऐसे में महीनों से इस दिन का इंतजार कर रहे लोगों ने जीभर कर सामान खरीदे। कहने को तो महंगाई से हर कोई आहत था किन्तु बाजार की व्यस्तता और भीड़ से कहीं से भी नहीं लग रहा था कि महंगाई का खरीददारों पर कोई असर पड़ा। इतना जरूर था कि निचला तबका इस बार हाथ सिकोड़ कर चल रहा है।