हज़रत मखदूम शाह आला का 762वां उर्स संपन्न


कानपुर, जाजमऊ दिनांक 27/10/19 को हर साल की तरह इस साल भी जाजमऊ में मखदूम शाह आला का उर्स बड़ी ही शान व शौकत के साथ संपन्न हुआ। मखदूम शाह आला का 762 वां उर्स शरीफ मोहब्बत व हर्ष और उल्लास के साथ हिन्दू मुस्लिम सभी धर्मों के लोगों ने लाखों की संख्या मे एक के साथ होकर  मनाया। इस उर्स में सभी धर्मों के लोग लाखों संख्या में आने वाले जायरिन (श्रद्धालु) हर साल अपने मन कि मुरादे मांगने के लिये मखदूम शाह आला की चौखट पर आते हैं और इस दर से उनकी मुरादे पूरी होती है और अपनी हैसियत के मुताबिक जिससे जो हो सकता है वो आम जनता के लिए दिल खोल कर लंगर में तबर्रुक तकसीम करता हैं।  इस लंगर में हर बेसहारा व गरीब परिवार को पेट खाना भर मिलता है।  इस उर्स की विशेषता है की इसमें पूरे शहर के अलावा दूर दराज़ से भी लोग बड़ी संख्या में अकीदतमंद आते हैं।

 

हज़रत शैख अलाउल हक वद्दीन मोहम्मद यूसूफ उर्फ हज़रत मखदूम शाह आला का जन्म 21 रमजानुल मुबारक 570 हिजरी (1175 ई) को इरान के शहर जंजान में हुआ। आपने कुरान, हदीस, फिकह, अदब, इतिहास आदि सीखा। फिर दिल्ली का सफर तय किया। उस वक्त के बादशाह सुल्तान ऐबक ने आपका गर्मजोशी से स्वागत किया। फिर हजरत जाजमऊ तशरीफ लाए। हजरत मखदूम शाह आला ने अपनी 60 साला जिंदगी जाजमऊ गुजारी। 27 सफर को आपका इंतकाल हो गया। हजरत मखदूम शाह आला का मजार इतिहासिक स्थान जाजमऊ में है जो आस्था का केन्द्र है। यहां हर धर्म और जाति के लोग आते हैं और उनके मन्नतें मुरादें पूरी होती हैं।

 

कुल शरीफ में मदरसा अशरफुल मदारिस गदियाना के मौलाना जनाब हाशिम अशरफी साहब ने रूह परवर दुआ की और लोगों को गुनाहों से तौबा करवाई। हज़रत मखदूम शाह आला ने अपने छोटे और बड़ों से हमेशा इखलाक मोहब्बत से पेश आते थे। यह अल्लाह के वलियों का संदेश हमेशा अच्छाईयों की तरफ ले जाता है। बुराईयों को रोकने के लिए अल्लाह के वलियों ने हमेशा अच्छा संदेश दिया है। मुसलमानों अल्लाह के वलियों के करीब हो जाओ बुराईयों दूर हो जायेंगी। शराब, जुआं, स्मैक, हरामकारी से बचो अल्लाह तुमसे राज़ी हो जायेगा और पांचो वक्त की नमाज़ को पाबंदी से अदा करो। 

दुआ के बाद लोगों ने दरगाह पर लगी नीम की पत्तियों को तोडा और तबर्रुक के तौर पर खाई। 

उर्स में बहुत सी सामाजिक व राजनितिक पार्टियों ने अपने अपने कैंप लगाए।