बकाया न मिलने से कंपनियों ने खड़े किये हाथ, शहर में बढ़ेगा जल आपूर्ति का संकट

- जलकल और जलनिगम एक-दूसरे पर थोप रहे देनदारी का ठीकरा 

कानपुर । शहर की जल आपूर्ति गंगा बैराज में गंगा के पानी से होती है और इसकी जिम्मेदारी दो कंपनियों को दी गयी है। दोनों कंपनियों का बकाया रुपया बराबर बढ़ता जा रहा है और जलकल व जलनिगम एक दूसरे पर देनदारी का ठीकरा फोड़ रहा है। जिससे कंपनियों ने हाथ खड़े करना शुरु कर दिया है और रुक-रुककर जलापूर्ति कर रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में शहरवासियों को जलापूर्ति के लिए संकटों का सामना करना पड़ सकता है।  
गंगा बैराज से गंगा का पानी शहरवासियों को आपूर्ति किया जाता है और इसकी जिम्मेदारी जियो और रेमकी कम्पनी की है। दोनों कंपजिनयों के यहां पर प्लांट भी लगे हुए है। इन प्लांटों में गंगा से कच्चा पानी लेकर उसको शुद्ध किया जाता है और फिर पानी की आपूर्ति शहर को होती है। दोनों प्लांटों की क्षमता 200-200 एमएलडी है। पिछले दो सालों में प्लांट की बिजली, कर्मचारियों का खर्च और केमिकल खर्च का एक भी रुपया जल निगम ने दोनों कम्पनियों को नहीं दिया है। बताया गया कि जल निगम को प्लांट चलाने के लिए अलग से कोई बजट नहीं होता है। इसके लिए सरकार अनुदान देती है और उसी अनुदान से जल निगम इन प्लांटों का खर्च वहन करता है। लेकिन प्रदेश सरकार की वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण दो साल से दोनों कम्पनियों को कोई रुपया जल निगम ने नहीं दिया है। कम्पनियों के कर्मचारियों को बकाये का भुगतान भी नहीं किया गया है। रेमकी का प्लांट मरम्मत के कारण दो माह से बंद चल रहा है। जियो का प्लांट कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए करीब आठ दिन बंद रखा। बुधवार को जल निगम के अधिकारियों के अनुरोध पर कुछ देर के लिए चलाया गया था और फिर बंद कर दिया गया। जिसके कारण शहर के करीब एक दर्जन मोहल्लों में पानी पहुंचा ही नहीं है।
जल निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर एन. जौहरी ने गुरुवार को बताया कि बुधवार को प्लांट चलाया गया है और शहरवासियों को जलापूर्ति की गयी है। गंगा बैराज से करीब 50 एमएलडी पानी की आपूर्ति शहर में रोज होती है। जल निगम के अधिकारियों का कहना है कि जलकल गंगा बैराज से आपूर्ति होने वाले 50 एमएलडी पानी का वाटर टैक्स जब जलकल विभाग लेता है तो गंगा बैराज के फिल्टर प्लांट का खर्च भी उसी को देना चाहिये। ऐसे में जलकल और जलनिगम की आपसी खीचतान के चलते आने वाले दिनों में शहर की जलापूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।