पूरी दुनिया के मुफ्ती थे हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म-ए-हिन्द

नमाज़ों को किसी भी हालत में न छोड़ना
मोहम्मद मस्जिद तलाक महल में उर्स आज़म मनाया गया



कानपुर। हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द सिर्फ भारत के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के मुफ्ती थे। आप आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां बरेलवी के छोटे बेटे भी थे। आपको आपके पीरो मुर्शिद (धर्मगुरू) हज़रत सैय्यद अबुल हुसैन अहमदे नूरी मियां मारहरवी ने सिर्फ 6 माह की उम्र में बैत करके सारे सिलसिलों की खिलाफत अता कर दी थी और कहा कि यह बच्चा अपनी मां के पेट से वली पैदा हुआ है। जो दुनिया के तमाम बिगड़े हुए लोगों को बुराई के रास्ते से निकालकर नेकी के रास्ते पर लगा देगा। आपका नाम हज़रत मौलाना अलहाज मुस्तफा रज़ा खां कादरी बरकाती है। उक्त विचार मुस्लिम इस्लाही जमाअत के तत्वावधान में आयोजित उर्स हुजूर मुफ्ती-ए-आज़म-ए-हिन्द (पुण्य तिथि) में हज़रत मौलाना मोहम्मद सुहेल बहराईची साहब ने मोहम्मदी मस्जिद चैराहा तलाक महल में व्यक्त किये।
 श्री बहराईची ने कहा कि हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द की सबसे बड़ी करामत ये है कि आपने अपनी पूरी जिन्दगी शरीअत व सुन्नत के अनुसार गुजारी और आपने अपनी पूरी जिन्दगी में चाहे जैसे हालात हो नमाज़ों को कभी नहीं तर्क (छोड़ा) किया। और अपने अनुयाइयों को यही सन्देश दिया कि अगर तुम अपनी जिन्दगी को दोनों जहां में कामयाब करना चाहते हो तो नमाजों को किसी भी हालात में नहीं छोड़ना।
 श्री बहराईची ने कहा कि अल्लाह तआला कुरआन पाक में इरशाद फरमाता है कि जो लोग ईमान लाये और अच्छे काम किये अल्लाह तआला उनकी मोहब्बत लोगों के दिलों में डाल देता है। सरकार मुफ्ती-ए-आज़म-ए-हिन्द ने भी ऐसे ऐसे अच्छे काम किये हैं कि रहती दुनिया तक उसे भुलाया नहीं जा सकता। बहुत लोगों ने अल्लाह के इन वलियों की मोहब्बत को निकालने की कोशिश की मगर वह सबके सब नाकाम रहे। क्योंकि मोहब्बत बन्दों की तरफ से डाली हुई नहीं है बल्कि सारे जहान के पालनहार ने लोगों के दिलों में डाली है। आपकी विलादत (जन्म) 22 जिलहिज्जा 1310 हिजरी में हुई। आपको 40 उलूमों फुनून पर पूरी महारत हासिल थी।
 हज़तर मौलाना मुफ्ती शहबाज अनवर, प्रधानाचार्य अहसनुल मदारिस कदीम ने कहा कि हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म-ए-हिन्द एक सच्चे आशिके रसूल थे यही वजह है कि पैगम्बरे इस्लाम से ताल्लुक रखने वाली हर चीज़ की ताजीम (बढ़ाई) करते थे। विशेषकर सदाते कराम की। इस सिलसिले में छोटे-बड़े में कोई फर्क नहीं करते थे। उन्होंने आगे कहा कि हुजूर मुफ्ती-ए-आज़म-ए-हिन्द शरीयतों तरीकत का हसीन संगम थे। आप बोलते थे तो लगता था कि इस्लाम बोल रहा है, आप चलते थे तो लगता था कि इस्लाम चल रहा है, आप देखते थे तो लगता था कि इस्लाम देख रहा हे, आप लोगों के साथ जो बर्ताव करते थे तो लगता था कि इस्लाम बर्ताव कर रहा है, आप लोगों को नसीहत करते थे तो लगता था कि इस्लमा नसीहत कर रहा है, आप तबलीग करते थे तो लगता था कि इस्लमा तबलीग कर रहा है।
 श्री अनवर ने कहा कि हुजूर मुफ्ती-ए-आज़म-ए-हिन्द आला हज़रत बरेलवी के सच्चे जानशीन (उत्तराधिकारी) थे। हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म-ए-हिन्द ने अपने इल्मों अमल फतवा व तकवा के जरिये आला हज़रत के मिशन को फरोग दिया। आपका नूरानी चेहरा अपने तो अपने गैर मुस्लिम भी देखते तो आपके इश्क में गिरफ्तार हो जाते थे। आप इतने हसनी व जमील थे कि आपका चेहरा ही तबलीग करता हुआ नज़र आता था।
इससे पूर्व जलसे की शुरूआत तिलावते कुरान पाक से मौलाना क़ारी मोहम्मद इसहाक ने की और बारगाहे रिसालत में हज़रत मौलाना मोहम्मद कासिम हबीबी बरकाती, कलीम दानिश, हाफिज़ इकबाल अहमद बेग क़ादरी ने नात शरीफ का नज़राना पेश किया।
 जलसे में मुल्क में अमन व शांति खुशहाली व तरक्की की दुआ की गई और लोगों तबर्रूक वितरित किया गया। जलसे की सरपरस्ती बिलग्राम शरीफ के सज्जादानशीन हज़रत मौलाना सैय्यद मोहम्मद ताहिर मियां साहब, अध्यक्षयता काज़ी-ए-शहर कानपुर मौलाना मो0 आलम रज़ा खां नूरी ने की और संचालन मोहम्मद शब्बीर अशरफी कानपुरी ने किया।
 इस अवसर पर प्रमुख रूप से मौलाना अब्दुल रहीम गोंडवी, मौलाना महताब आलम कादरी मिस्बाही, मौलाना मिकाईल ज़ियाई, मौलाना मोहम्मद मुर्ताज़ा शरीफी मिस्बाही, मौलाना तहसीन रज़ा कादरी, मौलाना क़ारी मतलूब बरकाती, मौलाना मोहम्मद इरशाद खां अमजदी, मौलाना मतीउररहमान, मौलाना गुलाम हसन कादरी अबुलउलाई, हाफिज़ मोहम्मद शकील, मोहम्मद शाह आज़म बरकाती, मुश्ताक अहमद नूरी, मो0 अजीम नूरी, मो0 इरफान नूरी, हाजी वसी उल्लाह, हशमत अली नूरी, मास्टर इकबाल अहमद, मोहम्मद जावेद कादरी, सदाकत हुसैन एडवोकेट, गौस मोहम्मद, जावेद हुसैन रहमानी आदि लोग उपस्थित थे।